उज्जैन । देश के समस्त मंदिरों एवं गर्भगृह की मर्यादाएं, परंपराएं और पवित्रता आदि अनादिकाल से चली आ रही हैं लेकिन देखने में आ रहा हैं कि कुछ समय से उज्जैन के ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह की पवित्रता एवं परंपरा भंग होती जा रही हैं। परंपरा के अनुसार महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में जब भी प्रवेश बंद होता है तो श्रद्धालुओं पर ड्रेस कोड लागू होता है। जिसमें पुरुषों को धोती सोला एवं बनियान या उप वस्त्र तो महिलाओं को साड़ी में ही प्रवेश दिया जाता है लेकिन नित्य यह देखा जा रहा है की तथाकथित संत, वीआईपी, प्रोटोकाल, पुजारी, पुरोहित एवं भक्त सिर पर कपड़ा बांधकर, कुर्ता पहनकर, लुंगी पहनकर एवं साध्वी गाउन पहनकर, महिलाएं साड़ी के अंदर कुर्ते, जींस, टीशर्ट पहनकर गर्भगृह में प्रवेश कर रही हैं। साथ ही निषेध वस्तुएं जैसे मौजा, चमड़े का पर्स, बेल्ट, हथियार और मोबाइल सभी वस्तुएं गर्भगृह में बेरोकटोक ले जाई जा रही है। श्रद्धालुओं इन प्रतिबंधित चीजों को अंदर तक ले जाकर गर्भगृह की पवित्रता एवं परंपरा को भंग कर रहे हैं। जब गर्भगृह में मोबाइल व कैमरा प्रतिबंधित है तो वहां कई संतों, वीआईपी भक्तों कैसे फोटो लिए जा रहे हैं यह जांच विषय है। और परंपराओं और पवित्रता भंग करने वालों को रोकने में असमर्थ दिखाई देते हैं। ऐसा लगता है कि कर्मचारी स्वयं भी परंपरा से अनभिज्ञ हैं, इसे रोका जाना चाहिए और मंदिर प्रशासन को परंपराओं, मर्यादा और पवित्रता की रक्षा करना चाहिए। इस आशय का एक पत्र महाकाल सेना राष्ट्रीय के धर्म प्रकोष्ठ प्रमुख महेंद्र सिंह बैंस ने महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक को भेजा है। पत्र में मद्रास हाईकोर्ट द्वारा मंदिर की पवित्रता और मर्यादा बनाए रखने के लिए ड्रेस कोड अनिवार्य करने के निर्देश का हवाला भी दिया गया है। महाकाल सेना मद्रास हाईकोर्ट के आदेश का स्वागत करती है और महाकाल मंदिर प्रबंध समिति से आग्रह करती है कि मंदिर को आंधुनिकता का पर्याय नहीं बनावे। मंदिर की आध्यात्मिकता प्राचीनता बनी रहे। इसका ध्यान रखें एवं गर्भगृह की पवित्रता मर्यादा एवं परंपराओं को सख्ती से पालन करावे और जो मंदिर के गर्भगृह की पवित्रता एवं परंपरा के लिए ड्रेस कोड लागू है उसे सख्ती से लागू कराया जाएं।

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