इंदौर कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने राजस्व अधिकारियों बैठक में निर्देश दिये हैं कि तहसीलदार, नायब तहसीलदार, सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख, अधीक्षक,भू-अभिलेख द्वारा मौका निरीक्षण किया जाये।
कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने कहा है कि सभी तहसीलदार, नायब तहसीलदार, सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख, अधीक्षक भू-अभिलेख सहित अन्य राजस्व अधिकारी द्वारा मौका निरीक्षण किए जाने हेतु क्षेत्र भ्रमण अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रयास यह करना चाहिये कि राजस्व निरीक्षक, पटवारी के साथ प्रात: 8-9 बजे उक्त राजस्व अधिकारी भ्रमण पर निकल जाये तथा भ्रमण उपरान्त अपने निवास होते हुए फिर कार्यालय में आए। भ्रमण करने के कारण अगर कार्यालय आने में विलंब होता है, तो उसकी अनुमति प्रदान की जायेगी, किन्तु यह नहीं होना चाहिये कि भ्रमण पर भी नहीं जाये और कार्यालय में भी विलम्ब से आये।
सीमांकन के प्रकरणों में तहसीलदार एवं अन्य राजस्व अधिकारियों को स्वयं मौका निरीक्षण करना चाहिये। ऐसे कई प्रकरण है। जहाँ पर रजिस्ट्री करते समय पैकी उल्लेखित कर रजिस्ट्री हो रही है, परन्तु मौके पर लोग निर्धारित स्थान पर काबिज नहीं है। ऐसे प्रकरणों में सम्पूर्ण खसरे की रजिस्ट्री रजिस्ट्रार ऑफिस तथा फील्ड से एकत्रित करना होगी तथा सम्पूर्ण खसरे का सीमांकन करते हुए बटांकन व्यवस्थित रूप से करते हुए आपत्तिया बुलाई जाये। “यथासंभव दैनिक समाचार पत्रों में विज्ञप्ति प्रकाशित कराई जाये। तद्उपरान्त सभी आपत्तियों पर सुनवाई करते हुए न्यायोचित तथा युक्तियुक्त आदेश न्यायालय से जारी करना चाहिये। उन्होंने कहा कि यह देखने में आता है कि इस प्रकार के सीमांकन के प्रकरणों में तहसीलदार या नायब तहसीलदार स्वयं मौका न देखकर अधीनस्थों जैसे राजस्व निरीक्षक, पटवारी पर सारी जिम्मेदारी डाल देते हैं। तहसीलदार / नायब तहसीलदार स्वयं मौका नहीं देखते हैं। इसलिए उन्हें आगे निर्णय लेने में समस्या होती है और प्रकरण में अनावश्यक विलम्ब होता है।
उन्होंने कहा कि तहसील में सभी तहसीलदार/ नायब तहसीलदार को प्रत्येक गांव के प्रत्येक खसरे के बारे में जानकारी होनी चाहिये। यह तभी संभव है, जब नियमित रूप से तहसीलदार / नायब तहसीलदार आदि अपने राजस्व निरीक्षक / पटवारी के साथ क्षेत्र का भ्रमण करते रहें।
यह भी देखने में आया है कि सीमांकन / बटांकन के कुछ कठिन प्रकरणों में भी सही तरीके से सीमांकन के लिए आवश्यक मार्गदर्शन कार्यालय में बैठकर राजस्व निरीक्षक / पटवारी को दिया जाता है। ऐसे समस्त मामलों में तहसीलदार / नायब तहसीलदार मौका देखकर ही अपने अधीनस्थों को आवश्यक मार्गदर्शन देवें। जहाँ तहसीलदार / नायब तहसीलदार को आवश्यक लगता है, मौका देखा जाना चाहिये। वे इस संबंध में अपने क्षेत्रीय अनुविभागीय अधिकारी को भी अवगत करावेंगे तथा अनुविभागीय अधिकारी भी अनिवार्यतः मौका ऐसे प्रकरणों में देखेंगे। सभी राजस्व अधिकारी चाहे वे अपर कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी स्तर के हैं अथवा अधीनस्थ स्तर के हैं, मौका निरीक्षण अवश्य करें।