मा. उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्भया कांड के पश्चात से दुष्कर्म पीड़िता की पहचान सार्वजनिक नहीं करने की गाईडलाईन स्वागत योग्य रही। परन्तु यह हमारा भारत है जहां पर कोई बड़ी घटना न होने तक उसे लेकर गाईडलाईन नहीं बनाई जाती। कमोबेश ऐसा ही हुआ है सीधी कांड में। आदिवासी युवक जिस अत्याचार का शिकार हुआ है वह भर्त्सना योग्य ही है। परन्तु इसे भी राजनैतिक दलों ने राजनीति का जरिया बना लिया है। प्रदेश के राजा ने आज तक किसी आदिवासी तो दूर की बात किसी सवर्ण युवक के पैर तक सीएम बुलाकर नहीं धुलाएं होंगे। लेकिन कई एग्जिट पोल्स, सर्वे में सत्ता से दूर नजर आ रही वर्तमान भाजपा सरकार की जमीन हिलने से मुख्यमंत्री ने आदिवासी युवक को सीएम हाउस बुलाकर पैर धुलाएं, फोटो, वीडियो भी सोशल मीडिया, इलेक्ट्रानिक, प्रिंट मीडिया के माध्यम से प्रसारित करवाऐं। कांग्रेस ने भी नौटंकी करते हुए गंगाजल छिड़का। लेकिन कोई पूछे उस पीड़ित युवक से जिसके साथ यह निंदनीय घटना हुई है उसकी आत्मा उसे कितना कचोट रही होगी ? इस राजनीतिक नौटंकी से सामान्य रूप से जनता के लिये अनजान रहे शख्स की पहचान उजागर हो गई और उसे समाज किस हेय दृष्टि से देख रहा होगा, यह सिर्फ पीड़ित ही समझ सकता है ।

शायद राजनेताओं के लिये उनके स्वार्थ से अधिक कुछ नहीं है। किसी का सम्मान, स्वाभिमान और जीवन ये शब्द राजनेताओं के लिये सिर्फ शब्द है भावना नहीं। अब वक्त आ गया है कि ऐसी पाशविक घटना के पीड़ित की पहचान सार्वजनिक न करने हेतु स्वयं शासन को गाईडलाईन बनाना चाहिए। खैर, आदिवासी वर्ग भाजपा और कांग्रेस की इस नौटंकी को भलीभांति समझता होगा और राजनैतिक दलों को निश्चित ही अपने अमूल्य मत के रूप में जवाब देकर अपनी ताकत का अहसास जरूर कराएगा।

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