क्या कभी रुकेगा बेटियों के चीरहरण और मौत का सिलसिला?

जिम्मेदारों जागो….वरना ध्यान रहे कि हमारे घरों में भी बेटियां है

उज्जैन अवंतिका के युवराज दिल दहल गया है मन में वेदना है आंखे रूदन कर रही है। धड़कन तेज हो गई है और मन में सैकड़ों विचार आ रहे है क्योंकि मेरे घर में भी बेटी है। और बीते दिनों हमारी शहर की लाडली मासूम बिटिया के साथ हुई दर्दनाक घटना से मेरा मन भी उद्वेलित हुआ है। लेकिन आश्चर्य का विषय है कि आम जनता को काफी हद तक, जाग गई है और मातृशक्तियां भी आदिशक्ति के आशीर्वाद से आक्रामक हो गई है। लेकिन जिम्मेदार या तो सो रहे है या मौन है और उनमें अब तक कोई हलचल नहीं हुई है। किन्तु जिम्मेदार का यह मौन क्या उचित है ? या यह मौन उज्जैन को बिहार बनने की ओर ले जायेगा।

हमारे घरों में भी बेटियां है………..

इस घटना ने सभी को झकझोर दिया है और मेरी यह कलम बार बार दिवंगत बिटिया के दुःखद हादसे पर आक्रोश व्यक्त करने के साथ ही हमारे शहर, समाज की बेटियों की सुरक्षा को लेकर भी सवाल पैदा करती है। नन्हीं सी बेटी पर इतना बड़ा वज्रपात हो जाये तो निश्चित ही माता पिता की आत्मा रोती होगी। लेकिन सिस्टम की आत्मा तो मर चुकी है उनमें संवेदनहीनता घर कर चुकी है • वे भावशून्य हो गये है और हर इंसान को शंका की नजर से देखना हम आदत-सी बन गई है क्योंकि हमारे घरों में भी बेटियां है और इन बेटियों की सुरक्षा हेतु शासन, प्रशासन, सिस्टम गंभीर नहीं है तो हमें ही गंभीर होना पडेगा ।

शायद हादसे का इंतजार है……..

ईश्वर न करें कि सिस्टम बनाने और चलाने वाले जिम्मेदारों के परिवार पर इस तरह का वज्रपात हो, वरना शायद वे तब ही इस गहन वेदना को समझ सकेंगे। विचारणीय यह है कि क्या बेटियों के चीरहरण और मौतों का यह विभत्स सिलसिला

कभी रुक सकेगा या नहीं ?

सौ बात की एक बात यही है कि उज्जैन में बीते दिनों एक नन्हीं बेटी की अर्थी नहीं उठी है बल्कि इंसानियत की अर्थी उठ गई है और इसमें सिस्टम पीड़ित परिवार के लिये पंचलकड़ी का काम करता है या आरोपी के लिये, यह तो वक्त ही बतायेगा। लेकिन इसे जघन्यतम कांड में सम्मिलित करके प्राथमिकता से 15 दिन के भीतर दोषियों को मृत्युदंड दिये जाने पर ही शायद हमारी बिटियां की रोती आत्मा को कुछ शांति मिल सकेगी और पीड़ित परिवार को कुछ हद तक न्याय मिल सकेगा।

वकीलों के निर्णय का स्वागत

मासूम बिटिया के साथ हुए हादसे ने पूरे शहर को गमगीन कर दिया घटना को लेकर आम नागरिक जहां एक ओर आक्रोशित हैं वहीं दूसरी तरफ आंदोलित भी हो चुके हैं ऐसे में उज्जैन के अभिभाषको ने इस घटना से उदेलीत होकर कर आरोपियों की पेरवी ना करने का निर्णय लिया है। वकीलों के द्वारा लिए गए निर्णय से इस तरह के अपराध पर कुछ हद तक राहत मिलेगी वकील परिवार द्वारा लिए गए इस निर्णय का अवंतिका के युवराज परिवार स्वागत करता है

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