सहकारिता विभाग के जिम्मेदारों के मौन में ही छिपी है सब कहानी

उज्जैन अवंतिका के युवराज । कलियुग में पैसे को भगवान मानने वाले भी कम नहीं है। धर्म, आस्था, श्रद्धा जैसे शब्दों से इनका शायद कोई सरोकार नहीं है। ताजा मामला है नीलगंगा चौराहा उज्जैन पर स्थित अति प्राचीन श्री नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर का रहवासियों के अनुसार कई शताब्दियों पुराने इस चमत्कारी मंदिर में अंब तक रहवासी ही समिति बनाकर पूजन-अर्चन, उत्सव, धर्म-कर्म करते आए है। शासन व जनप्रतिनिधियों की निधि, मद से यहां सामुदायिक भवन का निर्माण भी करवाया व यहाँ पर न्यूनतम किराये पर स्थापित रसोई से बर्तन भी दिये जाते आ रहे है। लेकिन कतिपय तत्वों ने इसे अपनी जागिरी बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

अखाड़े से दूर-दूर तक नहीं नाता, फिर भी बने अखाड़े के कथित जामाता

श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के इष्ट भगवान श्री कार्तिकेय स्वामी है। जो सर्वपूज्य है। शिव परिवार के सदस्य भगवान श्री कार्तिकेय स्वामी के आशीर्वाद से स्थापित इस महान अखाड़े के नाम का दुरूपयोग कर कतिपय तत्व अपनी स्वार्थ सिद्धी हेतु इसे हथियाकर यहां पर अवैधानिक रूप से होटल संचालन कर रहे है और इस धर्म स्थल को इन्होंने आय का जरिया बना लिया है और तो और यहां पर कुछ समय हेतु आने वाले अनजान युवक-युवतियों को कमरा देकर धनपिशाच यहां की पवित्रता नष्ट कर रहे है और धर्म, आस्था, श्रद्धा से खिलवाड़ कर रहे है। यहां पर मदिरापान होने के भी आरोप रहवासियों ने लगाये है तथा इन मदिरा की बोतलों सहित युवक-युवतियों के संदिग्ध आचरण की वीर्यरोधक, गर्भनिरोधक आपत्तिजनक वस्तुएं मिलने की बात भी दबी जुबान में रहवासी कह रहे है।

अखाड़े से जिन लोगों का दूर-दूर तक नाता नहीं है वे धर्म के ठेकेदार बनकर अखाड़े के कथित जामाता बन गये है और होटल को सभी के लिये खुला बता रहे है लेकिन इसके एवज में लिये जाने वाले हजारों लाखों रूपयों को लेकर बोलने को तैयार नहीं है।

सबसे बड़ी सनसनी, सहकारिता का मौन

इस पूरे मामले में सहकारिता विभाग की भूमिका को लेकर अधिकारी मौन है। लेकिन सच यही है कि श्याम गृह निर्माण सहकारी संस्था को माननीय न्यायालय से स्टे आर्डर होने के बावजूद कतिपय तत्व यहां पर माननीय न्यायालय के आदेश की धज्जियां उड़ा रखी है और दो अवमानना प्रकरण विचाराधीन है।

सहकारिता विभाग के बड़े अधिकारी इस खेले में शामिल है जो कि अखाडे की आड़ में कब्जा करने वाले तत्वों के इशारे पर काम कर रहे है और सहकारिता विभाग के अभिभाषक की नियुक्ति भी इन कब्जा करने वाले तत्वों के इशारे पर ही होती है इसके संबंध में सहकारिता विभाग के अधिकारियों और कब्जा करने वाले तत्वों के खिलाफ कई शिकायते प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष लंबित है और ये सदैव लंबित ही रहेंगी क्योंकि ये कब्जा करने वाले तत्व अखाड़े के पूज्य महाराजश्री को सदैव भ्रमित कर अपना स्वार्थ सिद्ध करते रहते है और इसी कारण भाजपा सरकार के राज में मा.न्यायालय के आदेश का पालन तक नही हो रहा है।

सिर्फ सहकारिता विभाग की शिकायतों की निष्पक्ष जांच करने पर ही इस पूरे मामले की कलई खुल सकती है।

सैया भये कोतवाल तो डर काहे का

सहकारिता विभाग में भी ये कब्जा करने वाले तत्व अपना एडवोकेट नियुक्त करवाकर नुरा कुश्ती खेलते है और इसमें परेशान होते है तो आम नागरिक और श्याम गृह निर्माण सहकारी संस्था के हितग्राही ।

खुद को महामण्डलेश्वर से भी ऊपर समझते है कब्जा धारी

पत्रकार वार्ता लेने वाले कब्जा धारी का व्यवहार, कार्यशैली देखकर तो कुछ क्षण के लिये ऐसा लगा है कि कोई महामण्डलेश्वर हमें आदेश सुनाने को आतुर हो और वे अखाड़े से भी ऊपर कोई सुप्रीम पॉवर है लेकिन वे नहीं जानते कि शिव परिवार के सदस्य भगवान श्री कार्तिकेयजी के अखाड़े की आड़ में कब्जा करना उनको भारी पड़ सकता है क्योंकि बाबा महाकाल की नगरी में आतताई मचाने वाले का आज तक अस्तित्व कभी नहीं बच सका है और उसे अपने कर्मों का दण्ड भुगतना पड़ा है।

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