निगम को राजस्व की दरकार, फिर भी शहर में अवैध विज्ञापनों की भरमार

0
377

अवैध विज्ञापनदाताओं पर नकेल कसने का साहस सिर्फ महापौर में

महापौर का आदेश बन सकता है पूरे प्रदेश में नज़ीर

अवंतिका के युवराज उज्जैन नगर पालिक निगम उज्जैन की आर्थिक खस्ताहाल होने की सत्यता किसी से छिपी नहीं है। निगम को राजस्व की दरकार है लेकिन अधिकारियों के प्रयास बेकार है। निगम में हजारों अधिकारियों, कर्मचारियों की फौज है लेकिन इनमें से एक भी इतना सक्षम और तीक्ष्ण बुद्धि के धारक नहीं है जो निगम की आय बढ़ाने के प्रमुख स्त्रोत पर मंथन कर सके। अवंतिका के युवराज ने इस दिशा में कार्य करना शुरू किया है। विगत दिवस महापौर मुकेश टटवाल द्वारा जिस तरह टाटा कंपनी के रसूख को नगर के हितों के आगे बौना साबित किया है उसी तरह हमारे द्वारा प्रस्तावित सुझाव पर भी ऐसी ही सख्ती की दरकार है।

शहर में अवैध विज्ञापनों की भरमार

शहर मैं विभिन्न मोबाइल कंपनियों के अलावा इलेक्ट्रानिक उपकरणों व अन्य संसाधनों की कम्पनियों द्वारा दुकानों के बाहर व शहर में अनेकानेक स्थानों पर अपने विज्ञापन बोर्ड आदि प्रदर्शित कर सार्वजनिक रूप से विज्ञापन किया जाना लाभ अर्जित किया जा रहा है परन्तु इन पर करारोपण कर वसूलने का साहस नगर निगम के आयुक्त और अधिकारी नहीं दिखा पा रहे है। निगम के जनप्रतिनिधियों की भी उदासीनता इन कम्पनियों को बढ़ावा देती है। लेकिन सिर्फ और सिर्फ महापौर मुकेश टटवाल ही इस पर नकेल कस सकते है।

महापौर से सख्ती की दरकार

महापौर मुकेश टटवाल शहर के प्रतिष्ठानों पर लगे विभिन्न निजी कम्पनियों के बोर्ड आदि की संख्या के मान से उन कम्पनियों पर करारोपण करके निगम का राजस्व, आय बढ़ाते हुए निगम की आर्थिक दशा मजबूत कर सकते है जरूरत है। तो सिर्फ एक सख्त निर्णय लेने की। महापौर की पहल पर उनका यह निर्णय पूरे प्रदेश में नज़ीर बन सकता है। देखते है कि महापौर वाकई में अवंतिका के युवराज के इस सुझाव को अमलीजामा पहनाते है या निजी कम्पनियां इसी तरह शहर की सुंदरता को बिगाड़ती और निगम को मुंह चिढ़ाती रहेंगी।