क्या होगा भू माफिया कासलीवाल की अवैध सम्पदा का सफाया
भ्रष्टाचार का नासिर होता है ना पैर होते है, लेकिन वह नासूर होता है और सर्जन मिले तो नासूर का सफाया भी होता है।
उज्जैन अवंतिका के युवराज। अवंतिका के युवराज की निर्भीक कलम की मुहिम आखिर रंग लाई और 18 और 19 मई की दरमियानी रात जब शहरवासी सो रहे थे तब पीडित पराग धनगर पिता नर्मदाप्रसाद चौधरी की किस्मत चमकी और पीड़ित पराग के धैर्य की भी परीक्षा लेते हुए आखिरकार करीबन 3 माह से लगातार थाने और वरिष्ठ अधिकारियों के चक्कर लगा रहे पराग की शिकायत पर पुलिस चिमनगंज मंडी उज्जैन ने भारतीय दंड विधान की धारा 420, 294, 506 के तहत आरोपी अश्विन पिता महेन्द्र कुमार कासलीवाल निवासी विक्रमादित्य क्लाथ मार्केट उज्जैन के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया और आखिर भू माफिया अश्विन कासलीवाल के खिलाफ 420 का ताज सज ही गया।
क्या होगा भू माफिया कासलीवाल की अवैध सम्पदा का सफाया वैसे पुलिस गुंडों, माफियाओं के मकान तोड़ने का बेहतरीन कार्य कर रहीं है
लेकिन क्या इस भू माफिया अश्विन कासलीवाल के खिलाफ पुलिस, नगर निगम और जिला प्रशासन क्या रासुका की कार्यवाही कर पायेगी. मकान तोड़ पायेगी ? इसे लेकर संशय है क्योंकि पीड़ित पराग धनगर की उज्जैन से भोपाल तक दौड़भाग के करीबन 3 माह बाद प्रकरण दर्ज हुआ है तो मकान तोडने, रासुका लगाने में भी पुलिस, जिला व नगर निगम प्रशासन को शायद 6 माह लग जाऐं। लेकिन जिले के पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक व जिलाधीश की कार्यप्रणाली व सख्ती को देखकर पीड़ित परिवार न्याय हेतु आशान्वित है।
भ्रष्टाचार का नासिर होता है ना पैर होता है वह नासूर होता है लेकिन सर्जन मिले तो नासूर का भी सफाया होता है
भू माफिया अश्विन कासलीवाल को बचाने हेतु कुछ नासूरों ने नासिर और और ना पैर के साथ अधिकारियों को भ्रमित करते हुए व अनुचित दबाव बनाने का प्रयास किया लेकिन भ्रष्टाचार के इस नासूर को अवंतिका के युवराज के रूप में ऐसा सर्जन मिला जिसने इस नासूर का सफाया कर दिया।