पुष्ट शिकायत की हुई बेअसर, थाने पर बार-बार लगवा रहे चक्कर
फरियादी परिवार ने मुख्यमंत्री निवास पर धरने की चेतावनी दी
उज्जैन अवंतिका के युवराज। मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान 2.0 का बीते दिवस जोर-शोर से समूचे मध्यप्रदेश में प्रचार हुआ। शिकायतों का तत्काल निराकरण करने का दावा भाजपा के नेताओं, जनप्रतिनिधियों और स्वयं मुख्यमंत्री तक ने किया। लेकिन मैदानी हकीकत कुछ और हैं। बीते करीबन 3 माह से भू माफिया अश्विन के खिलाफ लगातार पुष्ट, प्रमाणित व तथ्यात्मक शिकायते करने वाले पीडित पराग धनगर एवं इनके पिता नर्मदाशंकर अब तक न्याय से वंचित है। फरियादी के बयान के बाद 5 दिन में भू माफिया अश्विन ने निराकरण का आश्वासन पुलिस थाना चिमनगंज मंडी उज्जैन में दिया था लेकिन अब तक कोई कार्यवाही न होना, कायमी न होना, पुलिस चिमनगंज की भू माफिया अश्विन के प्रति सदायशता की ओर सीधा इशारा है। पुलिस तंत्र पर अर्थतंत्र भारी पड़ने लगा है।
पीड़ित की कहानी, उसी की जुबानी
पराग धनगर नि.मंगलनगर उज्जैन ने बताया कि भू माफिया अश्विन ने मुझे वर्ष 2016 में सुंदर नगर कालोनी उज्जैन में जो भूखंड बेचे थे वह जमीन रेल्वे की शासकीय निकली। मेरे साथ घोखाधड़ी हुई। प्रमाण सहित पुलिस को शिकायत की गई। लेकिन पुलिस चिमनगंज कायमी की बजाय कायमी व अनुसंधान का अपना मूल कर्तव्य भूलकर अब अपने कार्यक्षेत्र से बाहर जाकर मध्यस्थता प्राधिकरण बनकर कार्य करने में लगी है और समझौता करने का प्रस्ताव पुलिस स्वयं दोषी की ओर से दे रही है आखिर ये कहां का न्याय है ? यह तो पुलिस की पक्षपातपूर्ण कार्यवाही है। भू माफिया अश्विन की ओर से व स्वयं को कलमकार कहकर पत्रकारिता के स्वच्छ पेशे को बदनाम करने वाले कुछ कथित कलमकार द्वारा इस मामले में खुलेआम भू माफिया अश्विन को बचाने हेतु अधिकारियों व थाने पर दबाव बनाकर लगातार संवाद, संपर्क किया जा रहा है चाहे तो वरिष्ठ सहित थाने के अधिकारियों, कर्मियों के मोबाइल कॉल की डिटेल व थाने की सीसीटीवी फुटेज की भी जांच करा सकते है। ये भू माफिया अश्विन व इसके साथी समझौता न करने पर हमारी हत्या तक की धमकी दे रहे है। हमें कुछ भी हुआ या हमारे खिलाफ झूठी शिकायत हुई तो उसका दोषी इसी अश्विन व इसके साथियों को माना जाना चाहिए।
एक ही सवाल: पुलिस क्यों है मेहरबान इस भू माफिया अश्विन पर
जिलाबदर की कार्यवाही हेतु प्रस्तावित हो चुके कई प्रकरणों के रिकार्डेड भू माफिया अश्विन पर आखिर पुलिस क्यों मेहरबान है ? शहर में कईलोग भू माफिया अश्विन के खिलाफ शिकायते कर चुके है लेकिन कायमी दूर की कौड़ी रह गई है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर माफिया पर प्रशासन नकेल कस रहा है. रासुका लगा रहा है उनके मकान आदि तोड़ रही है तो आखिर भू माफिया अश्विन के खिलाफ कायमी करने, उसके मकान तोड़ने, जिलाबदर, रासुका की कार्यवाही से आखिर पीछे क्यों हट रही है ? यह बड़ा सवाल पैदा कर रहा है। अब तो एक ही है सवाल कि – पुलिस बड़ी है या भू माफिया अश्विन ।
इसका जवाब चाहे मिले या न मिले, लेकिन मुख्यमंत्री निवास के बाहर यदि पीड़ित परिवार ने धरना दिया दे दिया तो यह पूरे शहर के पुलिस अमले की सर्जरी करने के लिये पर्याप्त साबित होगा।