उज्जैन में तालिबान राज, संकेत या शुरूआत
उज्जैन पं. प्रदीप मिश्रा सीहोरवाले द्वारा की गई 7 दिवसीय कथा आयोजन के पूर्व से समापन तक चर्चा में रही। वैसे तो कथास्थल पर हुई अव्यवस्थाओं, श्रद्धालुओं के साथ दुर्व्यवहार, पक्षपात, चहेतों को उपकृत करने के तंत्र को लेकर शहर में चर्चाओं का बाजार गर्म है लेकिन दो घटनाएं कथा के दौरान व समापन के पश्चात देखने में आई है जिनका जिक्र करना जरूरी समझता हूँ।
महिला बाउंसर की महिला पुलिसकर्मी के साथ मारपीट
यह अन्यन्त दुःखद व निंदनीय घटना है कि कथा के दौरान जनसुरक्षा व कानून व्यवस्था बनाये रखने हेतु ड्यूटी पर तैनात एक महिला पुलिसकर्मी की सुरक्षा भी धरी रह गई और कानून व्यवस्था को धता बताते हुए पं. प्रदीप मिश्रा की समिति से जुड़ी महिला बाउंसर ने खुलेआम कानून, सुरक्षा व्यवस्था एवं उज्जैन जिला पुलिस, प्रशासन को चुनौती देते हुए महिला पुलिसकर्मी को सरेआम पीटा, घसीटा और दिखा दिया है कि हमारे सिर पर विट्ठलेश सेवा समिति सीहोर का हाथ है प्रदेश के मंत्री, विधायक, नेता हमारे आगे नतमस्तक है हमारा पुलिस भी कुछ नहीं कर सकती।
ये कैसा दुःखद संयोग है कि पांडाल के अंदर मंच से पं. प्रदीप मिश्रा अपनी व्यासगादी से संयम, धर्म, वाणी में मधुरता, व्यवहार कुशलता और श्रेष्ठता का पाठ पढ़ा रहे थे और बाहर उनकी समिति की महिला बाउंसर ही महिला पुलिसकर्मी पर हमला कर रही थी।
मातृ शक्ति द्वारा मातृ शक्ति पर हमला इस घटना का सबसे दुःखद पहलू रहा, लेकिन इस पर पंडितजी का मौन अचरज से कम नहीं है वह भी तब, जबकि ये घटना सोशल, प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से पूरे देश में सुर्खिया बटोर रही है।
पं. प्रदीप मिश्रा एक कथा अपने बाउंसरों के आचरण सुधारने हेतु
करें आयोजित, अवंतिका के युवराज परिवार देगा आर्थिक सहयोग
पं. प्रदीप मिश्रा अपने बाउंसरों के मर्यादाहीन, वात्सल्यहीन व धैर्यहीन आचरण को सुधारने हेतु एक कथा आयोजित करें, यह सर्वाधिक आवश्यक प्रतीत हो रहा है। वरना इसी तरह अन्य कथा स्थलों पर श्रद्धालु और पुलिस पीटे जाते रहेंगे। पं.मिश्रा द्वारा बाउंसरों का व्यवहार सुधारने हेतु कथा किये जाने पर अवंतिका के युवराज परिवार द्वारा आर्थिक सहयोग किया जायेगा।
कथा समापन पर हुआ हिन्दू पर हमला तालिबान राज का संकेत
कथा समापन की रात्रि को पांडाल पर जन्मदिन मना रहे एक तिवारी उपनाम वाले युवक पर कुछ अल्पसंख्यक युवाओं ने एकमत होकर हथियारों से पांडाल में प्राणघातक हमला कर इतना अधिक मारपीट की कि युवक अधमरा हो गया। ये युवक खुलेआम चिल्ला रहे थे ना रहेगा भारत, ना इसका शान, यहां होगा सिर्फ तालिबान, सिर्फ तालिबान”
दुःख की बात है कि पुलिस महाकाल ने घायल का उपचार कराने की बजाय पहले आटो से उतरकर आने का दबाव बनाया और हिन्दूवादी नेता कृष्णा मालवीय के हस्तक्षेप के बाद पीड़ित की ओर से कायमी की गई ? यह पुलिस का यह रवैया मानवीय है जबकि खुलेआम तालिबान राज को बढ़ावा दिया जा रहा है लेकिन पुलिस अकर्मण्य है।
क्या उपरोक्त दो घटनाएं उज्जैन में तालिबान राज का संकेत है या शुरूआत। इसे सोचकर दिल दहल जाता है। नवागत पुलिस कप्तान की प्रशंसा से कोई अछूता नहीं है। नवागत पुलिस कप्तान से अपेक्षा है कि वे शहर में तालिबान राज हो हावी न होने दें।