शहर के युवा आ रहे अवैध धंधों की चपेट में, पुलिस कप्तान ध्यान दें
उज्जैन कहने को तो शहर में पुलिस का खौफ है लेकिन ये खौफ सिर्फ कागजों में ही है। शहर में बेरोजगारी का आलम किसी से छिपा नहीं है और वर्तमान युग में युवाओं में तेजी से धन कमाने का चलन हो गया है। इसके लिये आम तौर पर नैतिक, अनैतिक मार्ग को नजरअंदाज कर दिया जाता है। ऐसे ही कई नजारे हमारे उज्जैन शहर में दिखाई देते है जहां पर ऑनलाईन सट्टे, कसिनो सहित एडवाईजरी की आड़ में अवैध कारोबार तेजी से फल फूल रहे है।
पुलिस का खुफिया तंत्र फेल, या मिल गया हाथों का मैल
पैसे को हाथों का मैल कहा जाता है और जब यह मैल हाथ में खेलने लगे तो कायदे-कानून धरे के धरे रह जाते है। इसका पालन कराने वाले भी धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी बनकर सब देखते, जानते हुए भी कुछ नहीं करते। शहर में महाकाल घाटी, महाकाल मार्ग पर ऑनलाईन कसिनो, सट्टे के लिये बाकायदा एक शख्स एप्प डाउनलोड करवाकर बेलेंस डालता है और फिर मिलती है घर बैठकर सट्टा, कसिनो खेलने की सुविधा। इसमें कई परिवार बर्बाद हो गये और 100 में से एक को फायदा हुआ तो उसका भुगतान ये शख्स अपनी दुकान से करते है। थाने से लगभग 200 मीटर दूरी पर भी पुलिस महाकाल को ये कार्य नहीं दिख रहा है हो सकता है कि महाकाल महालोक देखने आने वाली भीड़ के चलते पुलिस को दूर तक दिखाई देना बंद हो गया हो।
पुलिस का सूचना तंत्र यहां पर फैल है या उनके पास आ रहा हाथ का मैल है।
एडवाईजरी भी है बर्बादी की डगर
सक्षम व संबंधित संस्थानों की अनुमति बिना ही शेयर बाजार आदि के नाम पर एडवाईजरी का गोरखधंधा करके कुछ लोग आम जनता को लुटने में लगे है। आखिर बिना किसी लायसेंस, अनुमति, अनुज्ञा और अनुमोदन के बिना एडवाईजरी चलाने के पीछे आखिर किस-किस का संरक्षण है यह विचारणीय है या फिर पुलिस ही इन पर कार्यवाही करने की इच्छुक नहीं है और हाथ का मैल कुछ ज्यादा हो गया है जो पुलिस की इच्छाशक्ति को दबा रहा है।
डीजीपी को कराएंगे अवगत
पुलिस महानिदेशक के उज्जैन आगमन पर अवंतिका के युवराज परिवार द्वारा पुलिस की इस विफलता और जनता के दमन से अवगत कराया जाकर सीधे पुलिस मुख्यालय से कार्यवाही की मांग की जायेगी।