भारतीय संविधान को अवंतिका के युवराज परिवार का नमन
कथा के बाद बाबा साहेब की आड़ में ज्ञापन पर शहरवासी अचरज में
उज्जैन हमारा उज्जैन शहर अब 365 दिनों में 366 त्यौहारों के लिये प्रख्यात नहीं रह गया है इसमें एक कड़ी और जुड़ गई है 365 दिनों में 365 से अधिक ज्ञापन दिये जाते है लेकिन इसमें कितने अंजाम तक पहुंचते है यह सभी जानते है। इसमें राजनीतिक रोटी सेंकने, स्वार्थपूर्ति करने और ब्लेकमेल करने जैसे कई मामले सामने आते है। ज्ञापन देने की औपचारिकता मात्र इन्हीं तक सीमित नजर आ रही है। निर्भया कांड के समय पूरे देश में जो विरोध की ज्वाला थी वह सच्ची थी परंतु आजकल इस विरोध स्वार्थपूर्ति तक सीमित हो गया है।
ज्ञापन रूपी दुकान का शटर अवकाश के बाद हुआ ओपन:
शहर में श्री शिवमहापुराण की कथा का विराट आयोजन होने के बाद औचक रूप से गधे के सिर पर सींग उगने की कहावत चरितार्थ हुई है। अब तक मौन बैठे आदरणीय बाबा साहेब के कथित अनुयायियों ने बाबा साहेब के नाम की आड़ में राजनीतिक रोटी सेंककर पुनः अपनी ज्ञापनरूपी दुकान का शटर ओपन किया है।
कथा के पहले विरोध न करने वाले चंद तत्व अब भारतीय संविधान की दुहाई देकर भड़काऊ बयान दे रहे है आखिर ये कथा आरंभ होने पहले कहां थे और भारतीय संविधान के प्रति इनके सम्मान के भाव को तब क्या सांप सूंघ गया था। यह इन विरोधी तत्वों की आयोजकों के साथ नूरा कुश्ती ही है।
व्यासपीठ की मर्यादा व गरिमा का पालन हो आवश्यक
कथाकारों को व्यासपीठ की मर्यादा व गरिमा का पालन करते हुए धर्म, कर्म, आचार, विचार, व्यवहार पर सकारात्मक टिप्पणियां करना चाहिए और अन्य धर्म, मतावलंबियों की आस्था, अधिकारों पर अतिक्रमण करने व उसे ठेस पहुंचाने से बचना चाहिये। बीते कुछ समय में पं. प्रदीप मिश्रा, पं. धीरेन्द्र शास्त्री के बोल निरंकुश हुए है उनके मीडिया मेनेजर को इसकी ओर ध्यान देना चाहिये । अन्यथा राहु ऐसा ग्रह है जो धरा से आकाश और आकाश से धरा दिखाने में विलंब नहीं करता ।
धर्म परिवर्तन की धमकी के पहले जमीन देखें विरोधी
15 लाख लोगों के धर्म परिवर्तन की धमकी देने वाले महानुभाव के साथ ही ज्ञापन देते समय 150 व्यक्ति नहीं थे तो वे 15 लाख का धर्म परिवर्तन कैसे करवाएंगे। अपनी जमीन देखकर ही महानुभाव को विरोध करना चाहिये और बेहतर होगा कि वे अपना विरोध को लोकतंत्र की मर्यादा में रखें तथा कट्टवादिता, वैमनस्य और देश में अस्थिरता उत्पन्न करने के लिये उपयोग न करें।
राष्ट्र की संप्रभुता हेतु प्रशासन लें संज्ञान
पुलिस नियंत्रण कक्ष पर पुलिस का कितना नियंत्रण है यह भड़काऊ भाषण देने वाले महानुभाव के प्रति पुलिस की अकर्मण्यता ने उजागर कर दिया है। एक इंसान खुलेआम कट्टर, भड़काऊ, वैमनस्य भरे शब्दों से आम जनता को उद्वेलित कर भड़का रहा है देश की संप्रभुता खतरे में डालने का प्रयास कर रहा है और पुलिस उसे रोकने की बजाय उसे बढ़ावा दे रही है यह अनुचित है पुलिस कप्तान इस पर संज्ञान लें।