भरपूर नेतागिरी के बीच चल रही कथा
उज्जैन विगत दिनों से चल रही उज्जैन में पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव पुराण कथा सुनने को लेकर श्रद्धालुओं में बड़ा ही उत्साह का माहौल देखने को मिल रहा है और हजारों की संख्या में पंडित प्रदीप मिश्रा की एक झलक पाने को कई संख्याओं में श्रद्धालु जब उनके विश्राम ग्रह सोलीटेयर होटल पर मिलने पहुंचे तो उनके बॉडीगार्ड उनकी सुरक्षा में स्थापित किया पुलिस जवान द्वारा बताया गया कि पंडित प्रदीप मिश्रा के पैर में मोच आने से अब वह नहीं मिल सकते यही सुन श्रद्धालु वाह भक्त अपनी आंखों में निराशा भरे आंसू लिए सोलीटेयर होटल के बाहर प्रतीक्षा में लगे रहे परंतु जिम्मेदारों द्वारा भक्तों को एक झलक देखा भी नहीं अब आपको यह बता दें कि भक्त केवल दर्शन के भूखे रहते हैं तभी इतने इतने दूर से आए हैं यदि इन भक्तों को ही दर्शन नहीं दिए तो आप कथा किसे को सुनाएंगे?
पं. मिश्रा की चुप्पी आश्चर्यजनक
पं. प्रदीप मिश्रा की अब तक हुई कथाओं में व्यवस्थाएं लगभग पर्याप्त व संतोषजनक रही है परंतु उज्जैन की कथा हेतु की गई व्यवस्था संतोषप्रद न होने के बावजूद आखिर पं. मिश्रा का मौन आश्चर्यजनक लग रहा है क्या दो बार सीहोर में हुए घटनाक्रम के बावजूद आयोजक और जिम्मेदार और पं. मिश्रा क्या आने आज की वाली संभावित भीड़ का आंकलन नहीं कर पा रहे है या उसे नजरअंदाज करने का प्रयास कर रहे है।?
अपर्याप्त है इंतजाम लगा रहेगा जाम
भोजन और पेयजल की व्यवस्था तो अब तक कथा स्थल पर नहीं है। चंद मटके, नान रखकर और नाममात्र नल लगाकर हजारों लोगों की प्यास बुझाने के दावे किये जा रहे है लेकिन आज में यह जल सुविधा क्या पर्याप्त साबित होगी ? यह सभी जानते है लेकिन कोई बोलने को तैयार नहीं है।
भोजन के अभाव में श्रद्धालु परेशान हो रहे है और कथास्थल नगर से दूर होने से भोजनाभाव में श्रद्धालु कड़ी परीक्षा का सामना कर रहे है। जहां तक प्रश्न यातायात व्यवस्था का है तो शहर में आम दिनों में जाम लग जाता है परंतु आयोजन समिति की रजामंदी से बने यातायात प्लान और अपर्याप्त इंतजाम से ऐसा लगता रहा है कि सुबह से रात तक आयोजन स्थल सहित शहर में महा जाम लगा रहेगा।
प्रसाधन तो अंगुली पर गिनने लायक है जो कि संभावित लाखों श्रद्धालुओं के मान से ऊंट के मुंह में जीरे के समान प्रतीत होते है। आखिर इस अपर्याप्त इंतजाम के बावजूद आयोजन समिति अपनी पीठ कैसे थपथपा रही है यह विचारणीय है।
समन्वय का है अभाव
आयोजन समिति को लेकर बीते कुछ दिनों से उपसमितियां गठित करने के दावे किये जा रहे थे परंतु अब तक एक भी उपसमिति की बैठक तो दूर की बात गठन तक बराबर नहीं हुआ है। आखिर एकला चलो रे. की नीति पर चलकर आयोजन समिति अध्यक्ष प्रकाश शर्मा क्या संदेश देना चाहते है या फिर अहंकार का चोला ओढ़कर उनका ध्येय अब सिर्फ विधानसभा चुनाव ही रह गया है जिसके लिये वे विराट आयोजन में एकमात्र सुरमा बनकर सारा श्रेय अर्जित कर विधानसभा के लिये तैयारी करना चाहते है जबकि एक कहावत है कि “अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता” तो आखिर अकेले प्रकाश शर्मा कैसे कथा करवा सकते है। उन्हें अहसास होना चाहिये कि ये कथा करना, करवाना अकेले उनके सामर्थ्य में नहीं अपितु प्रभु श्री महाकालेश्वर की कृपा से उनके ही संरक्षण में यह आयोजन वे ही करवा रहे है। प्रकाश शर्मा तो निमित्त मात्र है।