झिंझर कांड से अब तक सुर्ख़ियों में क्यों है केंद्रीय जेल और इसके अधिकारी

उज्जैन अवंतिका के युवराज कारागृह अर्थात जेल को यूं तो सुधारगृह माना जाता है परन्तु जब इसके जिम्मेदार ही बिगड़ जाये तो बदइंतजामी और बदतर हालातों की क्या इंतहा होगी यह सोचकर ही रूह कांप जाती है। ताजा मामला है कि भैरवगढ़ उज्जैन पर स्थित केन्द्रीय जेल और इसके अधि कारियों का। बीते कुछ महीनों में जेल के कर्मचारियों ने ही जेल अधीक्षक व जिम्मेदारों पर सवाल उठाए है और व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाया है। इसकी पुष्टि स्वयं मंगलवार को जनसुनवाई में जेल प्रहरियों ने कर नशीली सामग्री व बाहरी पदार्थ की जेल में अनाधिकृत उपलब्धता की रेट लिस्ट शो करके बताई। खैर ये तो हुई जेल कर्मियों की लिखित शिकायत की बात इससे आगे अगर जेल की खौफनाक सूरत देखना हो तो जेल में निरूद्ध रहे बंदियों से पूछा जा सकता है क्योंकि मीडिया को तो जेल में सीमा में बांधकर वहां की कारगुजारियों को दबा दिया जाता है।

पहले भी चर्चित रही है जेल और इसके अधिकारी

वर्ष 2020 में मध्यप्रदेश के सबसे चर्चित झिंझर कांड के चलते भी ये जेल चर्चित रही है जहां रूपयों से “संतोष” न मिलने पर जेल के अधिकारी द्वारा झिंझर कांड की आरोपी महिला के साथ किये दुष्कर्म के आरोपों की गूंज भोपाल तक पहुंची। वहीं दुर्लभ कश्यप के हत्यारोपित द्वारा आत्महत्या करने मामला भी ज्यादा पुराना नहीं है। एक कैदी बिल्डर सह अभिभाषक की जेल में मौत के अलावा एक अन्य कैदी के सेप्टिक टैंक में दुनिया से “आजाद होने की घटना जैसी कई उपलब्धियों से भरपूर केंद्रीय जेल उज्जैन के अधिकारियों के कर्मों की तुती भोपाल तक बोलती है।

आखिर राजे साहिबा के राज में ही क्यों उठ रहे सवाल

पूर्व में जेल अधीक्षक रही अलका सोनकर के कार्यकाल में जेल प्रशासन को लेकर कभी इसके कर्मियों ने कोई असंतोष व्यक्त नहीं किया लेकिन आखिर क्या कारण है कि राजे साहिबा के राज में ही लगातार उनके जेल परिवार के ही सदस्य बार-बार मुखर हो रहे है। जहां आग होती है वहां ही धुआं उठता है सतत विरोध किसी बड़े विषय को इंगित कर रहा है जिम्मेदारों को इस पर ध्यान देना चाहिए।

क्या कभी बदल सकेगा जेल की व्यवस्था का ढर्रा

इतनी सारी घटनाओं के बावजूद आखिर क्या कारण है कि जेल के अधिकारियों को जांच और शिकायत में सर्फ एक्सेल की धुलाई की तरह सिर्फ और सिर्फ साफ होने का तमगा मिलता है। क्या ये अधिकारी वाकई में दोषी नहीं है या फिर सदोष / निर्दोष की हर स्थिति में इन्हें बार-बार क्लीनचिट देने का संकल्प जिले के प्रशासनिक अधिकारी और जेल के वरिष्ठ अधिकारी ले चुके है। लेकिन ऐसा संकल्प निश्चित रूप से जेल की व्यवस्थाओं के भविष्य को लेकर सुखद संकेत नहीं है। इस पर मुख्यमंत्री विचार करे।

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