उज्जैन अवंतिका के युवराज (एकेव्हाय) आंखों देखी घटना का दर्द सहा नहीं गया इसलिये इसे कलम से उतारने को मजबूर है। 22 फरवरी को जहरखुरानी करने वाले उज्जैन के एक निर्धन परिवार पर दोहरा वज्रपात हुआ। एक तो युवक ने जहरखुरानी की और दूसरा जिला अस्पताल में जाने पर वहां से पर्याप्त उपचार नहीं मनमानी का आलम तो देखिये कि संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में जहरखुरानी से पीड़ित युवक को एक भी चिकित्सक ने उपचार तो दूर देखना भी मुनासिब नहीं समझा और मौजूद गैर प्रशिक्षित स्टाफकर्मियों ने उपचार के नाम पर खानापूर्ति करके 22 फरवरी को पूरे उपचार के बिना निर्धन युवक को निजी अस्पताल हेतु रेफर कर भगा दिया। इसके पूर्व बार बार स्वास्थ्यकर्मी इस पीड़ित परिवार के सदस्यों को लताड़ते रहे कि इसे यहां से ले जाओ। लेकिन गरीब परिवार निजी अस्पताल का खर्च उठाने में अक्षम होने से वे इस अत्याचार को सहते रहे।

गरीब को कहां मिलेगा उपचार

आखिर सवाल ये है कि गरीब इंसान को यदि जिला अस्पताल में भी उपचार नहीं मिलेगा तो क्या वो अपनी किडनी, लीवर बेचकर निजी अस्पताल में इलाज करायेगा ? मुफ्त उपचार और दवाई के बड़े बड़े दावे करने वाले नेता और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी यहां पर पूरी तरह विफल दिख रहे है।

जिले के मुखिया

जिले के स्वास्थ्य विभाग के वर्तमान मुखिया पूर्व में आगर जिले में पदस्थ रहते लोकायुक्त के एक प्रकरण में एक चिकित्सक को बचाने के लिये नियम विरूद्ध तरीके से जांच प्रतिवेदन में दोषी उल्लेखित होने के बावजूद डॉ. शर्मा ने इसे दबा दिया। लेकिन कालांतर में एक सामाजिक कार्यकता की पहल पर दोषी चिकित्सक पर कायमी हुई लेकिन आज दिनांक तक इस दोषी को बचाने वाले डॉ. संजय शर्मा के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई। यह बदहाली हमारे स्वास्थ्य महकमे की है।

आखिरकार विकास यात्रा निकाल रहे हमारे जनप्रतिनिधियों और नगर के विकास के दावे करने वाले मुख्यमंत्री को इस गंभीर विषय पर संज्ञान लेकर स्वास्थ्य महकमे की सर्जरी करना चाहिए तथा जहरखुरानी जैसे गंभीर मरीजों को तत्काल बिना किसी पूछताछ के उचित उपचार उनके ठीक होने तक दिये जाने की व्यवस्था करना चाहिए तभी विकास यात्रा के दावे सार्थक होंगे वरना खोखले दावों की हवा जनता कभी भी निकाल सकती है।

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