जनता से टैक्स लेने वाली सरकार जनता की सुरक्षा, सुविधा पर भी ध्यान दे

उज्जैन शराब दुकानों के माध्यम से शासन सबसे ज्यादा आय अर्जित करता है। लेकिन इन दुकानों के घोर आवासीय व शहरीय क्षेत्र में स्थित होने से सुराप्रेमियों द्वारा उपजाई जा रही अराजकता से नगरवासियों में भय का वातावरण उत्पन्न हो गया है। एक और नगर में मास दुकानों के बाहर मास का टगन रोका जाकर दिखावटी तौर पर श्रद्धालुओं की भावनाओं का हवाला दिया जा रहा है लेकिन इन्हीं श्रद्धालुओं और आम नागरिकों के साथ शराब दुकानों के बाहर किये जाने वाले दुर्व्यवहार पर जिम्मेदार मौन है। आखिर इसके लिये कौन जिम्मेदार है शासन, प्रशासन या और कोई जब शहर के एक प्रमुख चौराहे पर सिग्नल शराब दुकान के पास खड़े होकर पुलिस अधिकारी बाहरी वाहनों को रोककर चालान बना सकते है तो चंद कदम दूर स्थित शराब दुकान के बाहर चल रही अनैतिक गतिविधियों पर लगाम क्यों नहीं करते। वह भी तब जबकि इस इंदौर गेट व कोयलाफाटक की शराब दुकान के समीप ही मातृ एवं शिशु चरक हास्पिटल है जहा पर पैदल आने से महिलाएं, घबराती है। साफ है कि कथित मामा के राज में महिलाएं असुरक्षित है। चंद रूपयों के राजस्व के लिये महिलाओं की सुरक्षा से समझौता किया जा रहा है श्रद्धालुओं को असुरक्षित किया जा रहा है और शराबियों को जनता के साथ मनमाना सलूक करने और वारदाते करने की खुली छूट दे दी गई है। ये शराबी वसूली, छेडछाड सहित अन्य घटनाएं कारित करने से भी पीछे नहीं हटते। कमोबेश यही हालात शहर की अन्य मदिरा दुकानों पर है जहां आसपास के नागरिक आवागमन तक में घबराते है। यहां पुलिस की जिम्मेदारी बनती है शराब दुकान के आसपास सुरक्षा हेतु उचित व्यवस्था कर शराबियों की हरकतों पर अंकुश लगाकर आम जनता को भयमुक्त करें। इसके लिये पहले पुलिस का आत्मबल जगाना जरूरी है। शायद मेरा यह लेख हर मोर्चे पर मुस्तैद लेकिन इस मुद्दे पर निष्क्रिय पुलिस को हरकत में ला दें।

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