गौमाता के सिर मोक्षदायिनी में मिलने से समीपस्थ होटल के तार जुड़े होने की गहरी आशंका
उज्जैन शहर के एक बहुचर्चित होटल और होटल मालिक को आखिर किस स्तर तक प्रभवाशाली लोगों का संरक्षण मिला हुआ है यह बात सभी जानते है। इस होटल संचालक की कारगुजारियों की जानकारी हर एक आम-ओ-खास को है। लेकिन 7 फरवरी 2023 को मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी में गौमाता के आधा दर्जन से अधिक कटे हुए सिर मिलने से एक बार फिर सखलबली मच गई है। जबकि बीते साल भी इसी तरह नदी तट पर गाय के कटे हुए सिर मिले थे। इन दोनों घटनाओं में एक समानता ये है कि बीते साल भी गाय के सिर इसी क्षेत्र से बरामद हुए थे जो कि शहर के एक प्रख्यात होटल के समीप है जहां पर देश के प्रधानमंत्री के आगमन के पूर्व वर्ष 2022 में काला परदे लगाया गया था और इस होटल के समीप दोबारा गायों के सिर मिलना एक बड़ी शंका को जन्म दे रहा है।
कहां गये धर्म के ठेकेदार
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा आश्चर्य रहा कि धर्म के ठेकेदार बनने वाले हिन्दूवादी नेता, कार्यकर्ता और कथित रूप से धर्म की ठेकेदार माने जाने वाली विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के नेता घटनाक्रम पर पूरी तरह मौन बन रहे रहे और नदारद रहे। इसी धर्म की ठेकेदार पार्टी की तीन इंजिन की सरकार में ही मौलाना आजाद मार्ग, गौतम मार्ग, महाकाल मार्ग सहित अन्य क्षेत्रों में खुलेआम गाय का वध करने के कत्लखाने चल रहे है इसकी जानकारी भाजपा सरकार और पुलिस प्रशासन सभी को है लेकिन कोई कुछ नहीं करता। क्यों करें नोटों का वजन ही ऐसा मिलता है कि अच्छे अच्छे नेताओं, अधिकारियों की बोलती बंद कर देता है। यह बात में नहीं कह रहा, अपितु हिन्दूवादी नेताओं और भाजपा का मौन इसकी पुष्टि कर रहा है और यह भी तब जब शहर कांग्रेस अध्यक्ष रवि भदौरिया ने इस गंभीर व संवेदनशील मामले को हाथों हाथ लेते हुए तत्काल मौके पर आकर विरोध जताया और ज्ञापन देने की पहल की।
कहीं सांप्रदायिक तनाव की साजिश तो नहीं
इस पूरे मामले में एक पहलू ये भी सामने आ रहा है कि चुनाव के पहले प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के विरूद्ध माहौल बनाने के लिये व उसे अस्थिर करने हेतु सांप्रदायिक तनाव का वातावरण बनाकर अपनी स्वार्थपूर्ति करने हेतु विपक्ष साजिश कर रहा हो। खैर जो भी इस मामले में सबसे पहले मानवीयता का दृष्टिकोण परम आवश्यक है। गाय को हम माता मानते है उन्हें पूजते है। उनके कारण ही हमें दूध व दुग्ध पदार्थ मिल पाते है। उपचार योग्य गौमूत्र व गोवर आदि मिलता है। ऐसे पूज्यनीय व उपयोगी प्राणी को थोड़े स्वाद या स्वार्थ के लिये मारना अमानवीय है। प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन को तत्काल इस पर सख्त कार्यवाही करना चाहिए वरना जनता तो यही मानेगी कि इस हरकत में भाजपा का संरक्षण है। शायद इस लेख को पढ़ने के बाद मर चुकी भाजपा नेताओं की आत्मा जाग सकती है और आगे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रूक सकती है।