19 साल पहले
सिंहस्थ 2004 में हुए ब्लीचिंग पॉवडर कांड में नरक निगम के ‘”पावडर चोरों” षड्यंत्र पूर्वक की गई धोखाधड़ी में सजा और जुर्माना ठुका….

पुण्य सलिला क्षिप्रा के किनारे पौराणिक नगरी उज्जैन में हर 12 साल में सिंहस्थ मेला आयोजित होता है….जिसकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उज्जैन नगर निगम की रहती है….और इस भव्यतम आयोजन में करोड़ों के भृष्टाचार भी होते हैं…वैसे नगर निगम भृष्टाचारियों की पनाह स्थली रही है और भृष्टाचार यहाँ की हवाओं में घुला मिला है…2004 में आयोजित हुए सिंहस्थ महापर्व में वैसे तो कई घपले घोटाले जिम्मेदारों किए गए जिनकी जाँच भी हुई और कई मामलों ने न्यायालय की चौखट तक दस्तक भी दी….सोमवार को ऐसे ही एक मामले में तत्कालीन अधिकारी कर्मचारियों को माननीय न्यायालय ने सजा के साथ जुर्माना भी किया…अब तीनों आरोपी केंद्रीय भैरव गढ़ जेल में जमा हो चुके हैं….

ये था मामला जिसमें करीब दो दशक बाद आया फैसला….

2004 के सिंहस्थ मेले से करीब एक माह पूर्व कोतवाली पुलिस ने 25 मार्च 2004 को अपराध क्रमांक 247/2004 में नगर निगम के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री मुकुंद पटेल पिता प्रीतम पटेल आयु 52 वर्ष, निवासी नगर निगम कॉलोनी, रूपेंद्र उर्फ भोला पिता गरीबदास कैथवास उम्र 30 वर्ष, निवासी सांदीपनि कॉलेज के पास फ्रीगंज, आनंद तिवारी पिता गोविंद तिवारी आयु 30 वर्ष,निवासी 40, तात्याटोपे मार्ग फ्रीगंज, लेखाधिकारी राधेश्याम पिता भूरेलाल शर्मा आयु 60 वर्ष निवासी मेट्रो टॉकिज के पास व लिपिक धर्मेंद्र सोनी और लिपिक कैलाश दिसावल के खिलाफ भारतीय दंड विधान 1860 की धोखाधड़ी की धारा 467, 468, 471 और साजिश रचने की धारा 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार किया था…ये सभी आरोपी जमानत पर रिहा होकर बाहर मजे मार रहे थे….इन पर षड्यंत्र पूर्वक लाखों के ब्लीचिंग पॉवडर की धोखाधड़ी में प्रकरण दर्ज हुआ था…

19 साल के विचाराधीन मामले में आया फैसला…

तभी से मामला न्यायालय में विचाराधीन था…जिस पर अष्टम अपर सत्र न्यायाधीश शुक्ल ने सारी सुनवाई करते हुए 16 जनवरी 2023 को निर्णय सुरक्षित कर लिया था…जिस पर 30 जनवरी 2023 को उन्होंने अपना फैसला सुनाया…न्यायालय में 19 साल तक चली सुनवाई के बीच में दो आरोपियों की मौत हो गई और एक आरोपी को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया…जबकि तीन आरोपियों को चार-चार साल सश्रम कारावास और डेढ़-डेढ़ लाख रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाते हुए उन्हें पुलिस कस्टडी में ले जाकर भैरवगढ़ जेल में दाखिल कर दिया गया। जिस पर धोखाधड़ी के मामले में न्यायालय से आए निर्णय के आधार पर कुल 6 में से तीन आरोपियों को कहा जा सकता है कि ये तीनों आरोपी सिंहस्थ 2004 में नगर निगम उज्जैन के ब्लीचिंग पावडर चोट्टे थे।…

इस फैसले से बंधी आस…..

माननीय न्यायालय के सिंहस्थ 2004 के इस ब्लीचिंग पॉवडर कांड के फैसले के बाद उस दौरान हुए अन्य काण्डों के लंबित फैसलों की आस बढ़ गई है…उसी दौरान उसी सिंहस्थ में और भी घपले घोटाले हुए थे….जिनमें डामर कांड और शौचालय कांड भी शामिल है जिनमें जिम्मेदार बाघड़बिल्लो ने जम कर भृष्टाचारी को अंजाम तक पहुंचाया था…उन पर भी अब जल्द ही फैसले आने की उम्मीद जगी है…..

पटेल और भार्गव की केमेस्ट्री गुरु चेला की…..

बताया जाता है कि तत्कालीन कार्य पालन यंत्री मुकुन्दीलाल पटेल निलंबित कार्य पालन यंत्री पीयूष भार्गव के गुरु थे….भार्गव ने भृष्टाचार और शाजिश षड्यंत्रों के सारे गुर पटेल से ही सीखे हैं…अब कि जब 19 साल पुराने ब्लीचिंग पॉवडर घोटाले में गुरु को सजा हुई है तो चेला भी जल्द ही श्री कृष्ण जन्मस्थली में जाने के प्रबल दावेदार हो गए हैं….और भगवान ने चाहा तो जल्द वो दिन भी आने वाला है….लालगेट के द्वारों को चेले का इंतज़ार है….वैसे सूत्र बताते हैं नरकनिगम उज्जैन में फाइलों के गायब होने का खेल पुराना है और सब अपने पापों की फाइल यहाँ से आसानी से गायब करने में माहिर हैं…जैसे अब तक गुम हुई 70 फाइलों का अता पता किसी को नहीं है….एक शख़्स भार्गव के सिवा….

न्याय में समय लगा…लेकिन न्याय मिला….

माननीय न्यायालय ने न्याय में ये मामला पूरे 19 साल चला इस बीच एक सिंहस्थ 2016 का निकल गया और फैसला आया जरूर वो भी राहत वाला …इससे एक तरफ लोगों का न्यायालय पर विश्वास क़ायम रहा और आगे भी रहेगा….लेकिन अब ऐसे मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलना चाहिए जिससे फैसला जल्द आए और इंसाफ के लिए लंबा इंतज़ार भी नहीं करना पड़े….लेकिन जाँच की आँच में समय लगने का कारण लंबी पड़ताल भी होती है…ख़ैर सब लोगों की क़िस्मत माननीय पीयूष भार्गव जी जैसी नहीं होती….

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