उज्जैन सिंहस्थ भूमि व स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर गरीबों को उनके घरों से बेदखल किया जा रहा। देखा जाए तो शहर के कई इलाकों में तीस से अधिक सालों से लोग कच्चे -पक्के मकान बना कर रह रहे हैं। अब उज्जैन के लाल व निगम कर्मी हटाने पर तुले हैं। आगर रोड 5 नंबर नाका स्थित गुलमोहर कॉलोनी मैं रह रहे गरीबों को सिंहस्थ भूमि मुक्त कराने के नाम पर बेदखल किया जा रहा है। जबकि सिंहस्थ भूमि पर कब्जा करने का यह अपराध तो मंत्री जी भी कर कर बैठे हैं परंतु वहां तो अब तक मुक्त नहीं हो पा रही? वहां रहने वाले गरीबों ने कहा कि शहर में जहां गरीब तबके के लोग रह रहे हैं। वहीं आसपास ही वे रोजगार व मजदूरी कर पेट पाल रहे हैं। उनके बच्चे पास के ही स्कूलों में पढ़ रहे हैं। आखिर गरीब लोग जाए तो कहां जाए जहां न रोजगार है न स्कूल -कॉलेज और अस्पताल। इसी के चलते बस्ती के लोगों ने इसका विरोध किया पर सुनवाई नहीं हो रही। गुलमोहर रहवासियों का कहना है कि गरीबों को बेदखल करने की बजाय जहां वे रह रहे हैं, उस जमीन की रजिस्ट्री हमारे पास मौजूद है। सूत्र बताते हैं कि यह मांग भी आठ साल से लम्बित है।
गरीब रहवासियों ने हमें बताया कि शहरी विकास विभाग व नगर निगम के अधिकारी हमें जबरन निकालने पर आमादा हैं। हमारे घरों के बिजली कनेक्शन को काटा जा रहा है। अधिकारी हमें घर खाली करने के लिए धमका रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार की कच्ची बस्तियों के लोगों को मकान आवंटन के लिए बनाई गई योजना के तहत यहां के लोगों को सूत्र बताते हैं कि इनकी रहने की व्यवस्था अब तक नहीं हुई है। आखिर कहां जाएं मध्य प्रदेश सूत्रों ने बताया कि गुलमोहर में करीब 500 गरीबों के मकान निर्मित हैं। सरकार की योजना के तहत इनमें से एक परिवार को भी रहने की व्यवस्था नहीं की गई में रहने को तैयार हो गए। कुछ परिवार अपने मकान छोडऩे को तैयार नहीं थे।
उज्जैन के लाल का यह था कमाल
उज्जैन आज ऐसा ही मामला उस समय प्रकाश में आया जब गुलमोहर कॉलोनी अगर रोड नाका के निवासी नगर निगम के द्वारा वितरित किए गए नोटिस को लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और अपनी बात रखी वही नागरिकों ने नगर निगम पहुंचकर महापौर तथा निगम आयुक्त को भी अपनी समस्या से अवगत कराया लेकिन कोई भी जिम्मेदार वर्ग इन गरीब परिवारों की सुध लेने को तैयार नहीं है