ना शासन…ना प्रशासन…ना दुशासन मददगार….


व्यवस्था की व्यथा ऐसी है कि यहाँ *”पानी मंहगा और सस्ता खून”* है….किसी की जान की कीमत कुछ नहीं और निठल्ले न्यौछावरों के वजन के नीचे दब कर अपने कर्तव्य के साथ इंसानियत को भी भूला बैठे हैं…जिसका खामियाजा बेबस लाचार लोगों को भोगना पड़ रहा है….ऐसे एक नहीं कई मसले हैं जो मेरी इस को पुख़्ता करते हैं…उन्हीं में से एक मामला ये भी है…जिसमें बेबसी, लाचारी और परेशानी का शिकार वो एक परिवार हुआ है जिसे सुनवाई और न्याय के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है…सुनी मांग लिए अपना और अपने उन बच्चों जिनसे पिता का मर्मस्पर्शी साया क्रूर काल ने छीन लिया है…उन्हें न्याय और मदद के लिए भटकना पड़ रहा है….

ठेकेदारी जान पर पड़ी भारी….

दरअसल 2 जुलाई की दोपहर अर्पिता कॉलोनी नानाखेड़ा निवासी सक्सेना परिवार पर कहर बन कर टूटी जिसमें एक पत्नी का सुहाग और दो बच्चों से पिता का साया छिन गया…काल के इस दर्दनाक वार से पूरा परिवार ही टूट गया…क्योंकि घर का कमाने वाला एक मात्र मुखिया जय प्रकाश सक्सेना बेवक़्त काल के गाल में समा गया और पीछे छोड़ गया अपने मासूमों और अर्धांगनी को संघर्ष के लिए…असल मे जय प्रकाश एक प्रशिक्षित कुशल इलेक्ट्रिशियन थे और महाकाल मंदिर विस्तारीकरण में चल रहे निर्माण कार्य की जबलपुर पंचायत की ठेकेदार कंपनी *”मेसर्स सुनील जैन*” के कर्मचारी के रूप में पिछले एक साल से काम कर रहे थे…2 जुलाई को यहीं पर भारी बारिश में काम करने के दौरान जय प्रकाश भारी करंट की चपेट में आ गए जबकि वो ठेकेदार से कहते रहे कि इतनी बारिश में काम थोड़ी देर रोक देना चाहिए लेकिन ठेकेदार जैन ने काम नहीं रोका जिससे जय प्रकाश को करंट लगा और उन्हें अन्य मजदूर हॉस्पिटल ले गए जहाँ डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया….महाकाल थाने ने मर्ग क़ायम कर पोस्टमार्टम करवाया…यहाँ से शुरू हुआ सक्सेना परिवार का वो संघर्ष जो तीन महीने बाद भी दबाव,प्रभाव,धमकी, धौंस,लालच और आश्वासन के बीच अब भी जीवित है….

आश्वासन की निरंकारी डुगडुगी…और दाल में काला या काली दाल….!!!!

सक्सेना परिवार पर परिवार के मुखिया जय प्रकाश सक्सेना की मौत का जो वज्रपात हुआ उस पर सिर्फ़ और सिर्फ़ अब तक आश्वासनों का मरहम ही इनके नसीब में आया है….जय प्रकाश की पत्नी श्रीमती राज कुमारी सक्सेना जो सी-87 अर्पिता नगर नानाखेड़ा में अपने दो बच्चों के साथ किराए के मकान में रहती हैं…उनके द्वारा कई आवेदन निवेदन हर आला अफ़सर की चौखट पर जा कर किए गए कि उन्हें भरण पोषण के लिए आर्थिक सहायता दी जाए क्योंकि परिवार का एक मात्र कमाने वाला मुखिया अब उनके बीच नहीं है…लेकिन तीन महीने बीतने के बाद भी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई है…इस घटना के बाद पहले तो जबलपुर पंचायत की ठेकेदार “फर्म मेसर्स सुनील जैन” के मालिक सुनील जैन और उनके पुत्र अनन्त जैन ने मृतक सक्सेना के परिजनों को 25000 रुपए दे कर मामले को रफ़ा दफा करने की कोशिश की लेकिन जब मृतक के परिजनों ने ये राशि लेने से इंकार कर दिया तो उनको डराया धमकाया गया कि मामले की पुलिस में रिपोर्ट ना की जाए नहीं तो अच्छा नहीं होगा…इसके बाद न्यौछावर(रिश्वत) के दम पर मामले में सितंबर के अंतिम सप्ताह तक एफआईआर नहीं होने दी….महाकाल थाने के जाँच अधिकारी उप निरीक्षक गोपाल सिंह राठौर भी सम्भवतः न्यौछावर से बोझ तले दबे होने के कारण मामले को जाँच का बहाना बना टालते रहे…इस बीच सक्सेना का परेशान परिवार न्याय की आस में जनसुनवाई में भी पहुंचा जहाँ से उन्हें स्मार्टसिटी भेजा गया वहाँ से भी आश्वासन का झुनझुना ही मिला…फिर थक हार कर सीएम हेल्पलाईन पर शिकायत की गई…उसके बाद करीब पौने तीन महीने बाद तो महाकाल थाने की जागरूक,ततपर, ईमानदार, सचेत,फुर्तीली पुलिस ने भारतीय दंड विधान 1860 की धारा 304 (A) में कायमी की…लेकिन अब तक इस पीड़ित सक्सेना परिवार को ना तो ठेकेदार और ना ही शासन प्रशासन की ओर से ही कोई आर्थिक सहायता मिली है…

आर्थिक सहायता तो दूर पगार तक नसीब नहीं….

महाकाल मंदिर विस्तारीकरण के निर्माण कार्य में जिस जबलपुर ग्राम पंचायत की ठेकेदार फ़र्म *” मेसर्स सुनील जैन”* को काम सौंपा गया है उसके दयानिधान, कर्मठ,दयावान जिम्मेदारों की मानवीयता देखिए कि मृतक सक्सेना के परेशान परिजनों को आर्थिक सहायता तो दूर उनकी पगार (सेलरी) 12000 भी अब तक नहीं दी गई है…उपर से शासन प्रशासन के कर्णधार फ़र्म को बचाने में अलग लगे हुए हैं….

न्यौछावर ने सुपरवाइजर को घेरा….

इस मामले में सीएम हेल्पलाईन के कूदने के बाद महाकाल पुलिस थाने के कर्मठों ने एफआईआर धारा तो 304 ( A) दर्ज कर ली…लेकिन जिम्मेदार कर्ताधर्ता फ़र्म मालिक को छोड़ कर महज़ सुपरवाईजर को ही गुनाहगार माना…जबकि पोहा फेक्ट्री अग्निकांड में फेक्ट्री मालिक और मैनेजर को धारा 304 और अन्य में गिरफ्त में लिया था….

ना शासन…ना प्रशासन…ना सुशासन…बने मददगार….

पोहा फेक्ट्री में आगजनी मामले में सहायता राशि देने वालों की होड़ लगी थी क्योंकि वो निजी और पार्टी का मामला था (सत्ताधारी पार्टी का बड़ा दानदाता) और प्रदेश मुखिया ने दो लाख की राशि को चार में तब्दील कर दिया था…लेकिन यहाँ मामला सरकारी निर्माण कार्य का है और ग़रीब मजदूर का मामला है…इसलिए ना शासन ना प्रशासन और ना दुशासन (फ़र्म मालिक) ही सहायता के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं….और मरहूम सक्सेना का परिवार संघर्ष और परेशानियों से घिरा हुआ है…

न्यौछावर के महारथी का प्रलोभन….

इस मामले में जब हमारे द्वारा निर्माण कार्य की जबलपुर ग्राम पंचायत की ठेकेदार फ़र्म *”मेसर्स सुनील जैन* के मालिक सुनील जैन से चर्चा करनी चाही तो उन्होंने तो मोबाईल उठाया नहीं …फिर उनके सुपुत्र और कर्ताधर्ता अनन्त जैन से उनके चलित दूरभाष पर संपर्क किया गया तो उन्होंने मामले के शुरुआती शब्द सुनने के बाद ही हमें मिल कर बैठ के बात करने के लिए कहा…सम्भवतः ये बुलावा न्यौछावर का आमंत्रण का था…जिसे हमने साफ़ तौर से ठुकरा दिया…

अब देखना ये है कि सक्सेना परिवार का ये संघर्ष और कितना लंबा होता है और कौन इनका तारण हार बनता है…शासन प्रशासन पर ही उम्मीद है क्योंकि दुशासन (ठेकेदार फ़र्म के जिम्मेदार) ने तो सारी हदें पार कर ही दी हैं…अब तो माननीय जिलाधीश से ही उम्मीद है इस परिवार की….आगे जैसी रब की मर्ज़ी….

इनका कहना…..

(1) “दिखवाता हूँ क्या हो सकता है…शासन प्रशासन स्तर पर क्या मदद हो सकती है…साहब(कलेक्टर) से चर्चा करते हैं”…

आशीष पाठक (स्मार्टसिटी सीईओ )

(2) “आप कल मेरे बेगमबाग ऑफिस आ जाओ वहीं बात करेंगे…मैं अभी बात करने की स्थिति में नहीं हूँ”…..
अनन्त जैन(मेसर्स सुनील जैन फ़र्म के मालिक के बेटे और कर्ताधर्ता)

(3) इस मामले के महाकाल पुलिस के जाँच कर्ता एस आई गोपाल सिंह राठौर को जब उनके फोन नम्बर 9111883464 फोन लगाया गया आउट ऑफ रेंज ही मिला….

(4)जबलपुर ग्राम पंचायत की फ़र्म मेसर्स सुनील जैन के मालिक सुनील जैन ने इस मामले में बात करने में फोन उठाने की ज़हमत नहीं की….

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