उज्जैन बेखबरों की खबर बनकर आज अवंतिका के युवराज एक बेहतर विषय को उठाने जा रहा है जो सराहनीय प्रसंग अवश्य है परंतु इसे लेकर जिम्मेदारों की सीमित कल्पना शक्ति कहीं नगर की छवि कलंकित न कर दें। हम बात कर रहे है चुनावी वर्ष में विभिन्न राजनेताओं द्वारा कराई जाने वाली बड़ी कथाओं की। जो कि धार्मिक प्रसंग होने से सराहनीय व श्रेष्ठ अवश्य है परंतु कथाकारों की असीमित लोकप्रियता व जनस्वीकार्य को भांप पाने में असक्षम आयोजक और जिले एवं प्रदेश का खुफिया तंत्र इन कथाओं की सफलता पर प्रश्नचिन्ह उत्पन्न कर सकता है। जी हां, हम प्रथमतः बात करने जा रहे है मध्यप्रदेश के गौरव, प्रसिद्ध कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा सीहोरवाले की, जिनके श्रीमुख से 4 अप्रैल से 10 अप्रैल 2023 तक मुरलीपुरा, बड़नगर रोड़ उज्जैन पर श्री विट्ठलेश सेवा समिति उज्जैन के शानदार आयोजन की। आयोजन समिति द्वारा समय-समय पर ब्रांडेड समाचार पत्रों में समाचार दिये जाकर आमंत्रण देने के समाचार जारी किये जा रहे है परंतु आज तक पेयजल, स्वच्छता, शौचालय, आवास सहित लाखों की संख्या में संभावित श्रोताओं व इनके वाहनों के आवागमन हेतु ठोस यातायात व्यवस्था का प्लान न तो बना पाई है न ही बता पाई है।

ये है महत्वपूर्ण व्यवस्थाएं, लेकिन जिम्मेदार बेखबर

कथा स्थल पर प्रवेश एवं निर्गम हेतु मार्ग अत्यंत छोटे है और वह भी मात्र एक-दो ही है जो कि ऊंट के मुंह में जीरे के समान है क्योंकि उज्जैन में ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर होने के साथ ही श्री महाकाल महालोक भी श्रद्धालुओं को कथा के दौरान उनकी भावनावश यहां आने को मजबूर करेगा। ऐसी स्थिति में मिनी सिंहस्थ का नजारा बन सकता है और लाखों की संख्या में श्रद्धालु आ सकते है लेकिन न तो आयोजन समिति इस ओर ध्यान दे रही है और न ही अब शासन प्रशासन का खुफिया तंत्र इसे लेकर गंभीर है।

ग्रीन कोरिडोर है आवश्यक

आपात स्थिति में आवागमन हेतु एक ग्रीन कोरिडोर याने आपात मार्ग भी बनाया जाना चाहिए जहां से आपात स्थिति में एम्बुलेंस, फायर वाहन सहित अन्य का आवागमन सुलभ व निर्वाध हो, इस हेतु भी उचित प्रावधान का अभाव है।

होटल व आटो वालों की लूट बंद हो

श्रावण माह. महाशिवरात्रि सहित समय समय पर देखने में आया है कि नगर के आटो चालक व होटल संचालक मनमानी दर से श्रद्धालुओं से वसूली करके उनका आर्थिक शोषण करते है। ऐसे में कथा में आने श्रद्धालुओं का आर्थिक शोषण न हो इस हेतु आटो में मीटर तत्काल लगवाये जाकर दर सूची आटो सहित होटल: संचालकों की भी निर्धारित की जाना चाहिए।

कोविड में सेवा देने वाली संस्थाओं से ली जा सकती है मदद

कथा में सेवा देने वाले स्वयंसेवियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के लिए कोविड काल में सेवा देने वाली संस्थाओं की मदद ली जा सकती है।

आपातकालीन सेवाओं के संपर्क नंबर जारी किए जाए

पुलिस, स्वास्थ्य विभाग सहित आपातकालीन सेवाओं के नंबर कथा स्थल से प्रत्येक 300 मीटर की दूर पर बैनर पर लिखे होने चाहिए जिससे कि बाहरी यात्रियों को असुविधा न होवें ।

उज्जैन वाले फेसबुक ग्रुप की मदद लें

उज्जैन वाले फेसबुक ग्रुप की शहर में एक अलग पहचान है जहां पर हर प्रकार की समस्या के समाधान के लिये ग्रुप सदस्य तत्पर रहते है। एक मदद की अपील की जाने पर श्रद्धालुओं के आवास, भोजन सहित अन्यान्य प्रकार की सेवाओं हेतु यह ग्रुप कथा के आयोजन में ऐतिहासिक सहयोग कर सकता है।

सायबर सेल निगरानी करें

राष्ट्रविरोधी तत्व कोई अप्रिय स्थिति इस बड़े आयोजन में उत्पन्न न कर सके, इस हेतु सायबर सेल को लगातार सोशल मीडिया की निगरानी करना चाहिए। कारण कि पूर्व की कथाओं व रूद्राक्ष महोत्सव में भी सोशल मीडिया ने अफवाह फैलाने का कार्य किया था जो किसी भी आयोजन को बिगाड़ने हेतु पर्याप्त आधार था इसलिये आयोजन को सफल बनाने हेतु इस दिशा में कार्य करना आवश्यक है।

दिव्यांगजनों व वरिष्ठ नागरिकों हेतु पृथक व्यवस्था हों

कथा सुनने आने वाले श्रोता दिव्यांगजनों एवं वरिष्ठ नागरिकों हेतु पृथक व्यवस्था की जाना बेहद जरूरी है अन्यथा पुण्य कमाने की बजाय इन वंचितों और पूज्यनीय वरिष्ठों की पीड़ा जिम्मेदारों को पाप का भागीदार न बना दें।

पीएम की तर्ज पर वीआईपी सिस्टम पूरी तरह खत्म हो

कथा में वीआईपी पांडाल व वीआईपी बैठक, प्रवेश व्यवस्था पूरी तरह बंद होना चाहिए। वरना आम और खास में भेद से आम श्रद्धालुओं की भावना आहत होगी।

बैतुल की कथा से लें सबक

बैतुल में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा में वीआईपी पांडाल में रात भर से बैठे श्रद्धालुओं को हटाने पर पं. प्रदीप मिश्रा ने नाराजगी व्यक्त इन्हें ही कथा का वास्तविक श्रोता बताया था क्या उज्जैन की आयोजन समिति इससे सबक लेगी या फिर चुनावी उद्देश्य से अपनों को उपकृत करने की स्वेच्छाचारिता करेंगे।

स्मार्ट सिटी की मदद लें समिति

स्मार्ट सिटी द्वारा होम स्टे हेतु आवेदन आमंत्रित करने पर कई नागरिकों ने पंजीयन कराया है इनका भी आवास सुविधा हेतु उपयोग लिया जा सकता है। भीड़, कानून व्यवस्था नियंत्रण व संचालन हेतु इन्हें अधिग्रहित कर उपयोग करने का अधिकार शासन को प्राप्त है इसका उपयोग किया जाना

चाहिए। एकला चलो रे……की नीति पर काम न करें आयोजक

वर्तमान में आयोजन समिति एकला चलो रे.. …… की नीति पर चलती दिखाई दे रही है अब तक न तो आयोजन समिति की पर्याप्त बैठक हुई है न ही इसकी कोई उप समिति गठित की गई है और मात्र 11 सदस्य, पदाधिकारी ही लाखों लोगों के इस आयोजन को सफलीभूत करने की कल्पना कर रहे है। आयोजकों को सभी को साथ लेकर चलना चाहिए।

आगे बागेश्वरधाम की कथा की भी है संभावना

सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार भविष्य में श्री बागेश्वरधाम सरकार की कथा की भी संभावना है इस आयोजन प्रशासन, शासन व जनप्रतिनिधियों को ध्यान देकर आयोजन के सारे सूत्र अपने हाथ में लेना चाहिए।

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