धर्म के ठेकेदारों और सत्ताधीशों की गज़ब चुप्पी…!!!!
उज्जैन सप्ताह भर पहले 7 फरवरी 2023 को मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी में 33 करोड़ (कोटि) देवी देवताओं की हत्या कर उनके शीश मिलने से सनसनी फैल गई थी…और इस घटना के बाद शासन प्रशासन फौरी तौर पर हरक़त में आने के बाद सप्ताह भर में भी मामले की जाँच नहीं कर पाया है…. ऐसे में शंका कुशंका के बीच खुराफातियों की करतूत होने का संदेह इस पूरी वारदात पर हो रहा है….
होटलें भी शंका के घेरे में….
मोक्षदायिनी क्षिप्रा के किनारे बसी होटलों पर भी छानबीन की ज़रूरत है क्योंकि हो सकता है कि इन होटलों में बीफ(गाय का मांस) परोसा जा रहा हो या फिर शांत शहर की फ़िजा बिगाड़ने की कोई शाजिश इन आलीशान होटलों से रची जा रही हो….उसी का हिस्सा मृत गायों के सिर नदी क्षेत्र में फेंकने का हो। इसी तरह की खुराफ़ात बीते साल भी हुई थी…जिसके आरोपी भी अब तक क़ानून की गिरफ्त से दूर हैं….
रोटी सेंकने वाले जिम्मेदार नदारत क्यों ????
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा आश्चर्य और अचंभा ये है कि मामले की शुरुआत से अब तक गौ माता पर रोटी सेंकने वाली सत्ताधारी पार्टी के महारथी अब तक इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं जबकि गौ माता के इन कथित भक्तों को गाहे बगाहे तैंतीस करोड़ देवी देवताओं को अपने में समाहित करने वाली गौ माता की याद राजनीति की रोटी सेंकने के लिए उपयोग करते देखा गया है….धर्म के वो ठेकेदार भी गायब हैं जो गौ शालाओं के नाम पर लाखों की लूट करते हैं…लेकिन इनकी रक्षार्थ खड़े नहीं होते….
सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने का षड्यंत्र तो नहीं….
इस पूरे मामले में एक पहलू ये भी सामने आ रहा है कि कहीं शहर की शांत फ़िजा में ज़हर घोलने की शाजिश तो नहीं थी ये खुराफ़ात…. चुनाव के पहले प्रदेश में राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते शांत माहौल को अशान्त करके रोटी सेंकने का भी षड्यंत्र हो सकता है….ऐसे में जाँच एजेंसियों को भी इस मामले को किसी बड़े कांड के रूप में देखते हुए इसकी बारीकी से जाँच की जानी चाहिए…
तिसरी आँख बन सकती है ख़ुलासे का सबब….
अगर जिम्मेदार चांहें तो पूरा शहर तिसरी आँख सीसीटीवी कैमरों से लैस हैं। ऐसे में शांति पैलेस चौराहे और आसपास के चौराहों पर लगे और होटलों के बैक में लगे कैमरे इस घटना खुराफ़ात का राज उगल सकते हैं।वैसे इस फ़ितरत के आठ दिन बाद कौन क्या और कैसे जाँच कर रहा है और उसके परिणाम कब आएंगे ये देखने लायक है….क्योंकि ये किसी की बड़ी साजिश ही दिखाई दे रही है जिसका पर्दाफ़ाश होना बेहद जरूरी है।
गौ वंश मुखों मरने की कगार पर….
जब से गीला सूखा खचरा चलन में आया है तब से गौ वंश की भूखों मरने की नौबत आ गई है….वहीं सरकारी गौ शालाओं के हाल बद से बदत्तर हैं…वहाँ भी गाय भूख प्यास से मरने को मजबूर है…वहीं शहर में पशु पालक सिर्फ़ गायों के दूध के लिए ही उन्हें आश्रय देते हैं और बाकी समय पूरा शहर उनके लिए गौचर भूमि रहता है…उन्हें दाना पानी मिले तो मिले नहीं तो वो भूख प्यास से मर ही रही हैं….हादसों का कारण भी बन रहे हैं गौ वंश….
प्रशासन की मजबूरी….
अब उज्जैन नगरनिगम भी इन मवेशियों और गौ वंश को संभालने में मजबूर है क्योंकि उसे पहले ही 132 करोड़ की देनदारी चुकानी है और खस्ताहाली का आलम है नगरनिगम में….ऐसे में शहर में स्वछंद विचरण कर रहे इन गौ वंशों पर रोक लगाना मुमकिन ही नहीं है और इस तरह की वारदातों का होना कहीं ना कहीं इसका फायदा उठाने का कारण भी साबित हो रहा है…. ये तो ग़नीमत ये रही की गायों के सिरमुण्ड मिलने की साज़िश सफल नहीं हुई नहीं तो शहर की शांत फ़िजा को बिगड़ने में देर नहीं लगती….
हालांकि पुलिस का कहना है कि जाँच अभी जारी है लेकिन घटना के आठ दिन बाद भी गौ माता के हत्यारों का उनके अंजाम तक ना पहुंचना चिंतनीय है और इसमें किसी गहरे षड्यंत्र और साज़िश की बू आ रही है।
वर्शन….
(1) हमने हमारा फर्ज निभाया था और जाँच में अगर दोषियों के खिलाफ़ जल्द से जल्द कार्यवाही नहीं की जाती है तो बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद इस मामले उग्र आंदोलन करेंगे….
अंकित चौबे (बजरंग दल)
(2) “जाँच जारी है किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा…जो भी दोषी होगा उस पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी”….
तरुण कुरील थाना प्रभारी नीलगंगा