,आखिर किस दबाव के चलते नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारी बचाए जा रहे हैं?
उज्जैन, नगर निगम के पूर्व कमिश्नर अंशुल गुप्ता द्वारा सिटी बस के संचालन में अनियमितता के चलते नगर निगम के तीन अधिकारियों को जून 2022 में नोटिस दिया था और उसमें कहा गया था कि अधिकारियों की कार्यशैली में अनियमितता पाई गई है, जिसके चलते नगर निगम उज्जैन को सिटी बस के मामले में करीब ढाई करोड़ से अधिक की राजस्व हानि हुई है, नोटिस में सिटी बस संचालक कंपनी के द्वारा की गई अनियमितताओं का उल्लेख भी किया गया है बावजूद इसके 6 महीने से अधिक बीतने के बाद भी ना तो नगर निगम के इन भ्रष्ट अधिकारियों पर कोई कार्रवाई की गई है और ना ही बस संचालक पर।
आयुक्त /2022/965, एवं आयुक्त / 2022/963, सुनील जैन उपयंत्री प्रभारी महाप्रबंधक उज्जैन सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड, नगर निगम उज्जैन, एवं विजय गोयल उपयंत्री प्रभारी उप महाप्रबंधक उज्जैन सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड नगर निगम उज्जैन ,नगर निगम के तत्कालीन निगमायुक्त अंशुल गुप्ता द्वारा दिए गए इस कारण बताओ नोटिस में स्पष्ट उल्लेख है कि जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन योजना के तहत निकाय को प्राप्त होकर संचालित की जा रही सिटी बसों के संचालन में निकाय को आर्थिक हानि के साथ क्षति के संबंध में संबंधित के विरुद्ध किसी प्रकार की कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं करके संबंध में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने बाबत, इस नोटिस में आगे कहा गया है कि सिटी बसों के संचालन हेतु अनुबंधित अर्थ कनेक्ट ट्रांसवे प्राइवेट लिमिटेड को अनुबंध अनुसार अक्टूबर2015 से बस संचालन पर निकाय को विधिवत राशि जमा की जाना थी वह नहीं कराई गई, मात्र 58 लाख की एफडीआर राजसात की गई, जबकि निकाय को 2करोड़ 48 लाख रुपए प्राप्त होना था, जिसके एवज में नियमानुसार संबंधित को ब्लैक लिस्टेड करना भी नहीं पाया गया, जिससे निकाय को आए प्राप्त नहीं हो सकी।
नोटिस में आगे कहा गया है कि उक्त क्रम में अर्थ कनेक्ट नेटवर्क द्वारा शाखा से किए गए अनुबंध अनुसार जो विज्ञापन के अधिकार प्राप्त किए गए थे उनके तहत संबंधित द्वारा लाभ अर्जित किया गया, उसके तहत शुल्क विधिवत निकाय को जमा किया जाना था जो नहीं किया गया “उक्त कंपनियों के नाम पृथक्करण हैं लेकिन दोनों कंपनियों के संचालनकर्ता एक ही व्यक्ति के नाम है” , बावजूद इसके संबंधित के विरुद्ध कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं करना निकाय के हित में नहीं पाया गया है,यहां बहुत महत्वपूर्ण बात यह है कि पूर्व में सिटी बस संचालन कंपनी अर्थ कनेक्टिविटी और मौजूदा विनायक टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी दोनों के नाम अलग-अलग हैं लेकिन संचालनकर्ता एक है , इससे स्पष्ट है कि जिस कंपनी के संचालक ने नगर निगम को आर्थिक हानि पहुंचाई उसी को नाम बदलकर पुनः नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा सिटी बस का संचालन करने का टेंडर दिया गया, इस मामले में नगर निगम के प्रभारी अधिकारियों ने अर्थ कनेक्टिविटी से बसों का हैंड ओवर भी नहीं लिया गया है और इसके चलते कई सिटी बस शहर के अन्य स्थानों पर पड़ी हुई है जिसके चलते नगर निगम को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि हुई है।
इस नोटिस में स्पष्ट कहा गया है कि उक्त क्रम में आपके द्वारा बसों का संचालन उपनगरीय में किया जा रहा है, जबकि अनुबंध अनुसार सिटी बसों का संचालन नगरीय शहरी क्षेत्र में किया जाना प्रस्तावित था क्योंकि भारत सरकार की मंशा अनुरूप जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन योजना के तहत शहरी निकाय के बुनियादी ढांचे को परिवर्तित किया जाकर शहरी जनता को लाभ पहुंचाना था, आपके द्वारा जानकारी के अभाव में रोड टैक्स अधिकारी द्वारा प्रस्तावित किया जा कर परमिट प्राप्त किया गया, इससे स्पष्ट है कि सिटी बसों को उज्जैन शहर में चलाया जाना अनुबंध में प्रस्तावित था लेकिन नगर निगम के अधिकारियों की सांठगांठ के चलते संचालक द्वारा आरटीओ से पृथक्करण परमिट जारी करवाया गया और जिसका नतीजा यह है कि जो सिटी बसें उज्जैन शहर में चलना चाहिए थी वह नियम विरुद्ध ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही है।
बहर हाल इस नोटिस में कई और बातों का उल्लेख भी किया गया है जो हम आपको अगले अंक में बताएंगे लेकिन उपरोक्त उल्लेख से स्पष्ट है कि नगर निगम के सिटी बस ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड के प्रभारी महाप्रबंधक सुनील जैन एवं प्रभारी उप महाप्रबंधक विजय गोयल द्वारा सिटी बसों के संचालक से सांठगांठ करते हुए नगर निगम को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि पहुंचाई है लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि पूर्व नगर निगम आयुक्त द्वारा 6 महीने पूर्व दिए गए इस नोटिस के बावजूद नगर निगम के इन दोनों अधिकारियों पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है और ना ही कई अनियमितताएं करने के बाद भी सिटी बस संचालक पर कोई कार्रवाई की गई है ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर क्या कारण है कि नगर निगम के आला अधिकारी द्वारा नगर निगम के इन भ्रष्ट अधिकारियों को किस दबाव के चलते बचाया जा रहा है और इतनी अनियमितताओं के बावजूद भी सिटी बस संचालक का टेंडर निरस्त क्यों नहीं किया जा रहा है यह सवाल उज्जैन की जनता नगर निगम के आला अधिकारी से पूछ रही है।