चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों ने खरीदे महंगे भूखंड
उज्जैन। विकास प्राधिकरण के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों ने 25 लाख से लगाकर 34 लाख तक भूखंड खरीदे हैं खरीदने के बाद कई कर्मचारियों ने खरीदने के बाद ही महंगे दाम में मुनाफा कमा कर बेच दिए हैं । इन सभी कर्मचारियों की बैंक खातों में हुए ट्रांजैक्शन की जांच होनी चाहिए जिससे बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है सूत्रों की मानें तो विकास प्राधिकरण कर्मचारी से कोटा के भूखंड खरीदने के लिए बाहरी व्यक्तियों ने पैसा लगाया है जिनके माध्यम से कर्मचारी कोटे के भूखंड महंगे खरीदे गए और फिर उनके नाम से रजिस्ट्री भी करवा ली गई इस पूरे मामले को लेकर अधिनियम की विभिन्न धाराओं पर आयकर विभाग का उल्लंघन भी हुआ है। विकास प्राधिकरण के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मनीष यादव, विवेक बवा, राहुल सिंह, सुनील नागर ,की शिकायत आयकर विभाग के अन्वेषण विंग इंदौर में भी पहुंची है। बताया गया कि चारों कर्मचारी विकास प्राधिकरण में दैनिक वेतन तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। इनके द्वारा ही विकास प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं में एलआईजी एमआईजी व एचआईजी सैनी में 25 से 34 लाख रुपए तक के महंगे भूखंड खरीदे गए हैं। जबकि इनका वेतन इतना नहीं है जिससे कि इतना महंगा भूखंड खरीदा जा सके
शिकायत पहुंची आयकर विभाग
उज्जैन। विकास प्राधिकरण में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी द्वारा महंगे भूखंड खरीदने के मामले में शिकायत अब आयकर विभाग तक पहुंच गई है। विभाग के अन्वेषण विंग के कर्मचारी के पैन कार्ड भूखंड की राशि और वेतन की जानकारी भेजी गई है मामले में अब कर्मचारियों से भूखंड खरीदने वाले भी आयकर की जांच में दायरे में आएंगे