उज्जैन 04 मार्च। कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने शुक्रवार को भैरवगढ़ पहुंचकर स्थानीय बटिक प्रिंट कारीगरों के साथ एक जिला एक उत्पाद योजना के सम्बन्ध में बैठक की। गौरतलब है कि राज्य शासन की एक जिला एक उत्पाद योजना के अन्तर्गत उज्जैन के लिये बटिक प्रिंट को चुना गया है।
कलेक्टर ने कारीगरों से बैठक में कहा कि बटिक प्रिंट उत्पाद की क्वालिटी, क्वांटिटी और सेल को बढ़ाने के लिये राज्य सरकार द्वारा एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत प्रयास किये जायेंगे। उज्जैन जिले के उत्पाद की क्वालिटी में कैसे सुधार किया जाये, इनका मूल्यांकन कैसे हो, इस हेतु आवश्यक कदम उठाये जायेंगे।
बैठक में कलेक्टर ने इस योजना के तहत स्थानीय बटिक प्रिंट कारीगरों से भी सुझाव मांगे। कारीगरों ने जानकारी दी कि बटिक प्रिंट का कार्य शत-प्रतिशत कॉटन कपड़े पर ही होता है। इसका उत्पादन भैरवगढ़ में विकसित है। इसकी गारंटी भी होती है। कारीगरों ने मांग की कि भैरवगढ़ में बटिक प्रिंट का डिजाईन सेन्टर होना चाहिये, जो कि हस्तशिल्प विकास निगम द्वारा संचालित किया जाये। क्योंकि बटिक प्रिंट के शिल्पी इस कला में माहिर तो हैं, लेकिन डिजाईन बनाने के लिये आर्टिस्ट की आवश्यकता है। वर्तमान में भैरवगढ़ में बटिक प्रिंट के अन्तर्गत बेडशीट, सलवार सूट, साड़ी, पर्दे और गारमेंट्स की पूरी रेंज है।
बटिक प्रिंट कारीगरों ने सुझाव दिया कि इस उत्पाद के लिये निर्धारित की गई पर्चेस पॉलिसी के अन्तर्गत प्रोडक्ट की क्वालिटी में असर पड़ता है। इसीलिये पर्चेस पॉलिसी में भी सुधार शासन द्वारा किया जाये। उज्जैन के सभी प्रमुख मन्दिरों के पास एक-एक दुकान बटिक शिल्पियों को उपलब्ध करवाई जाये। जयपुर, जोधपुर और कोलाकाता में बटिक प्रिंट शिल्पियों को प्रदर्शनी लगाने के लिये भेजा जाये। साथ ही उन्हें टीए-डीए भी मुहैया करवाया जाये। जिला प्रशासन द्वारा उज्जैन दर्शन के लिये जो शासकीय बस संचालित की जा रही है, उसे भैरवगढ़ अवश्य भेजा जाये। शासकीय कार्यालयों में पर्दे और टेबल क्लॉथ हस्त शिल्प विकास निगम से खरीदे जायें। बटिक शिल्पियों के कुछ घर और कारखाने सिंहस्थ क्षेत्र में आ रहे हैं। इससे उन्हें काफी परेशानी आती है। कारीगरों ने भैरवगढ़ को सिंहस्थ क्षेत्र से मुक्त करने की मांग रखी।
कलेक्टर ने एक जिला एक उत्पाद योजना के बारे में बटिक शिल्पियों को जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के तहत सरकार आप से पूछकर आपके उत्पादों की बिक्री विदेशों में कैसे बढ़ाई जाये, उत्पाद की क्वालिटी, क्वाटिटी कैसे बढ़ाई जाये, उत्पाद की रेंज और मार्केटिंग कैसे की जाये, इस पर आवश्यक कदम उठायेगी। इससे बटिक शिल्पियों की आय बढ़ेगी। साथ ही रोजगार भी बढ़ेगा। कलेक्टर ने बटिक शिल्पियों के लिये कारखाने हेतु शासकीय जमीन चिन्हित करने के निर्देश स्थानीय पटवारी को दिये। साथ ही उन्होंने कहा कि शहर की प्रमुख होटलों में बटिक प्रिंट के डिस्प्ले लगाये जायें। कलेक्टर ने कहा कि आने वाले दिनों में भोपाल से एक जिला एक उत्पाद की टीम आयेगी और वह बटिक शिल्पियों से मुलाकात करेगी।
कलेक्टर ने कहा कि बटिक शिल्पी ट्रेनिंग के लिये जहां भी जाना चाहते हैं, उसकी जानकारी जिला प्रशासन को आपस में तय कर प्रदान करें, ताकि उस पर कार्यवाही की जा सके। बटिक शिल्पियों की अन्य समस्याओं के निराकरण हेतु भोपाल स्तर पर चर्चा की जायेगी। बैठक में जिला पंचायत सीईओ सुश्री अंकिता धाकरे, जीएम डीआईसी श्री एआर सोनी, सेडमेप के नोडल अधिकारी श्री प्रमेश मिश्रा एवं अन्य अधिकारीगण मौजूद थे।