धार्मिक नगरी उज्जैन के तोपखाना क्षेत्र में ट्रैफिक और सुरक्षा व्यवस्था ध्वस्त! श्रद्धालुओं को झेलनी पड़ रही भारी असुविधा

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उज्जैन: धर्मनगरी उज्जैन का हृदय माने जाने वाले महाकाल मंदिर को जाने वाले मुख्य मार्ग, तोपखाना क्षेत्र, में यातायात और सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। आए दिन लगने वाले भीषण ट्रैफिक जाम से न केवल स्थानीय निवासी बल्कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


स्थानीय नागरिकों और श्रद्धालुओं का आरोप है कि तोपखाना क्षेत्र में 24 घंटे पुलिस की अनुपस्थिति रहती है, जिसके कारण यातायात बेलगाम हो चुका है। ट्रैफिक जाम के अलावा, क्षेत्र से गुजरने वाले श्रद्धालुओं को बदबू का सामना करना पड़ता है, जिससे धार्मिक यात्रा का अनुभव कड़वा हो रहा है।

अनियंत्रित ट्रैफिक बना तनाव का कारण

स्थायी जाम: तोपखाना क्षेत्र में रोजाना घंटों तक ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है।
दुकानदारों की मनमानी: सड़क किनारे की दुकानों के बाहर स्थानीय ग्राहकों द्वारा अपनी गाड़ियों को बेतरतीब ढंग से खड़ा कर दिया जाता है, जिससे सड़क की चौड़ाई कम हो जाती है और जाम की समस्या और गंभीर हो जाती है। ये वाहन चालक जरा भी सहयोग नहीं करते हैं।
प्रशासन की अनदेखी: क्षेत्रवासियों और श्रद्धालुओं का कहना है कि पुलिस प्रशासन इस महत्वपूर्ण मार्ग पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है और ना ही चौबीसों घंटे के लिए एक भी पुलिसकर्मी तैनात रहता है।

मीट की बदबू और धार्मिक भावनाएं

महाकाल मंदिर की ओर जाने वाले इस पवित्र मार्ग पर श्रद्धालुओं को लगातार मीट की बदबू झेलनी पड़ रही है, जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं। यातायात के कारण रुक-रुक कर निकलने वाले श्रद्धालु “कितनी गंदी जगह से होकर जाना पड़ता है” कहते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त करते हैं।

संवेदनशील क्षेत्र, बड़ी दुर्घटना का खतरा

तोपखाना क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए, जहां धर्म को लेकर अतीत में विवाद की आशंका रही है, सुरक्षा व्यवस्था का अभाव बाहरी श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। बिना पुलिस निगरानी के, कभी भी छोटी सी बात बड़े सामाजिक या सांप्रदायिक विवाद का रूप ले सकती है, जो धार्मिक नगरी की छवि और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है।

इस समस्या के बावजूद, उज्जैन पुलिस और स्थानीय प्रशासन का इस अति-महत्वपूर्ण क्षेत्र पर ध्यान न देना कई सवाल खड़े करता है। धार्मिक नगरी में लाखों श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए।