उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन कांड को 11 महीने पूरे होने के बाद भी व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है। सहायक प्रशासकों के फोन पर दर्शनों में मनमानी जारी है, जिससे मंदिर की छवि खराब हो रही है। मंदिर के नियमों के अनुसार, प्रोटोकॉल प्राप्त विशिष्ट व्यक्ति प्रोटोकॉल कार्यालय के माध्यम से दर्शन करते हैं, लेकिन अपात्र लोगों को वरिष्ठ जनप्रतिनिधियों के नाम पर नंदीहॉल और चौखट से दर्शन कराए जा रहे हैं।
क्या है कारण?

कुछ सहायक प्रशासक इन अपात्र लोगों के आगे बेबस हैं या फिर वे उनकी स्वार्थपूर्ति का जरिया बने हुए हैं? यह सवाल उठ रहा है कि आखिर क्यों मंदिर प्रशासन इन अनियमितताओं को रोकने में असमर्थ है।

प्रशासक से अपील
प्रशासक प्रथम कौशिक से अपील है कि वे इस मामले में संज्ञान लें और सहायक प्रशासकों की मनमानी पर अंकुश लगाएं। मंदिर की छवि को बचाने और श्रद्धालुओं को निष्पक्ष व्यवस्था प्रदान करने के लिए यह आवश्यक है।










