महिला संबंधी अपराधों में न्यायालयीन दोषमुक्ति रोकने हेतु डीआईजी की सख्ती

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उज्जैन में डीआईजी नवनीत भसीन ने पुलिस अधिकारियों की बैठक में स्पष्ट किया कि महिला संबंधी अपराधों में लापरवाही अथवा अनदेखी समाज में पुलिस की छवि को प्रभावित करती है और पीड़ित पक्ष को न्याय से वंचित होना पड़ता है। उन्होंने निर्देश दिए कि एफआईआर पंजीयन के समय सभी आवश्यक धाराओं का समुचित रूप से उल्लेख किया जाए और अन्वेषण के दौरान साक्ष्य संकलन, घटनास्थल निरीक्षण, वैज्ञानिक/फॉरेंसिक प्रमाण एवं गवाहों के कथनों को विधि सम्मत दर्ज किया जाए।

डीआईजी ने पुलिस अधिकारियों से अपील की है कि वे अपने कार्य में सतर्कता बरतें और किसी भी प्रकार की लापरवाही से बचें। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि समय-समय पर प्रकरणों की समीक्षा बैठकें आयोजित कर त्रुटियों का विश्लेषण किया जाए और दोषमुक्ति के कारणों को समझकर भविष्य में उनकी पुनरावृत्ति रोकी जाए।

महिलाओं द्वारा झूठे प्रकरण दर्ज कराने पर भी होगी कार्रवाई

डीआईजी ने स्पष्ट किया कि महिलाओं द्वारा झूठे प्रकरण दर्ज कराने पर भी कार्रवाई होगी। उन्होंने निर्देश दिए कि पहले प्रकरण की पूर्णता से जांच होनी जरूरी है और जांच करने के बाद ही प्रकरण दर्ज किया जाए। इससे किसी निर्दोष को परेशानी नहीं होगी और अपराध भी कम होगा।

पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से जांच करे और सच का पता लगाए। पुलिस को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी अपराधी न्यायालय से संदेह का लाभ पाकर दोषमुक्त न हो सके। पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह अपराध को रोकने और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए काम करे।