उज्जैन। जल्दी की अंधी दौड़ ने एक बार फिर से उज्जैन रेलवे स्टेशन पर अपना दर्दनाक नजारा पेश किया। एक नाबलिग युवक ट्रेन की पतली पार करने की कोशिश में जुटा था, लेकिन उसकी यह जल्दी उसकी जान ले सकती थी।

इस नजारे ने मेरे दिल को झंझोर कर रख दिया। मैंने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना। यह एक गंभीर समस्या है जिसे हमें समझना होगा।

हर साल सैकड़ों लोग ट्रेन की पतलियां पार करते समय अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। यह एक दर्दनाक मौत होती है जो परिवार को हमेशा के लिए दुखी कर देती है।

लोगों को यह नहीं समझते कि उनके पीछे भी रोने वाला परिवार है। उनके पीछे माता-पिता, पत्नी, बच्चे और दोस्त होते हैं जो उनकी सुरक्षा के लिए चिंतित रहते हैं।

हमें अपनी जान की कीमत को समझना होगा और सुरक्षित जीवन जीना होगा। माता-पिता को भी अपने बच्चों को समझाना चाहिए कि वे सुरक्षित से यात्रा करें और यात्रा के नियमों का पालन करें।

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