कासलीवाल की फरारी, पुलिस के लिये बनी चुनौती भारी
छल के संसार में अजर-अमर अश्विन की क्या कभी होगी गिरफ्तारी
उज्जैन अवंतिका के युवराज संसार के अजर अमर नामों की गिनती करने पर अश्वत्थामा नाम प्रमुखता से लिया जाता है और छल की दुनिया के बेताज बादशाह बन चुके अश्विन कासलीवाल के खिलाफ प्रकरण दर्ज होने के 22 दिन बाद भी पुलिस के लिये कासलीवाल की फरारी बड़ी चुनौती पड़कर भारी पड़ रही है। अश्वत्थामा छल के संसार के अजर-अमर बने अश्विन को पुलिस बेधड़क घूमते देख सकती है लेकिन उसकी दिव्य शक्तियों के आगे बेबस पुलिस चिमनगंज उसे पकड़ नहीं सकती। चारधाम यात्रा के नाम पर वह क्या आपराधिक साजिश रचने या रूपयों की अफरा तफरी करने गया है यह तो ईश्वर ही जाने, लेकिन सब कुछ जानकर भी अनजान बनी पुलिस चिमनगंज की अश्विन के मामले में बेबसी, लाचारी देखकर काफी दुःख होता है। लगता है समय आ गया है कि जब पुलिस कप्तान को थाना चिमनगंज की प्रशासनिक सर्जरी करके उसका ढर्रा सुधारना पड़ेगा।
पुलिस दे रही तारीख पे तारीख
फरियादी पराग धनगर पहले भी कायमी के लिये 84 दिनों तक चक्कर काटता रहा और अब कायमी के 22 दिन बाद भी छलिये अश्विन की गिरफ्तारी के लिये तारीख पे तारीख का आश्वासन सुनकर परेशान, हलाकान है। जबकि पुलिस भी जानती है कि गरीबों से छले गये रूपयों से अश्विन बाहर घूमकर आनंद ले रहा है और इस आनंद में निश्चित ही पुलिस चिमनगंज की आरोपी के प्रति दरियादिली, अभयदान भी जिम्मेदार है। इसे सोचकर सिंघम मूवी में कहा गया संवाद याद आता है कि यदि पुलिस चाहे तो एक मंदिर के बाहर से चप्पल तक नहीं चुराई जा सकती लेकिन खुलेआम सरकारी जमीन को बेचने वाले आरोपी कायमी के बाद भी फरार है।
सुर्खियों में है थाना चिमनगंज
राजपूत समाज के परिवार पर हुए अत्याचार में करणी सेना द्वारा थाने का घेराव, आसिफ पेंटर की मौत, आरक्षक के ट्रेप होने, कासलीवाल के खिलाफ कायमी न होने व गिरफ्तारी न होने से थाना चिमनगंज मण्डी लगातार सुर्खियों में बना हुआ है और अब तक दो थाना प्रभारी हटाये जा चुके है लेकिन फिर भी थाने का ढर्रा सुधरने को तैयार नहीं है और थाने पर अवांछितों की चहलकदमी लगातार बनी हुई है। जिला पुलिस कप्तान इस पर विचार कर एक्शन लें।