उज्जैन में ‘महाकाल लोक’ के लोकार्पण के बाद महाकाल का खजाना खूब भरा है। जितना दान पिछले सालभर में नहीं आया, उससे ज्यादा तो तीन महीनों में आ चुका है। जानकर हैरानी होगी कि साल 2021 की तुलना में 2022 में दोगुना से ज्यादा दान आया है। इसका सबसे बड़ा कारण ‘महाकाल लोक’ के लोकार्पण के बाद भक्तों की संख्या में बढ़ोतरी है। वीकेंड में तो ये संख्या तीन गुनी हो गई।

महाकाल मंदिर समिति को वर्ष 2021 में 22 करोड़ 13 लाख रुपए का दान मिला था, जो 2022 में बढ़कर 46 करोड़ 51 लाख रुपए पहुंच गया। इनमें से सबसे ज्यादा आखिरी तीन महीने में 22 करोड़ 50 लाख रुपए मिले हैं।

भक्तों की संख्या में तीन गुना इजाफा

श्री महाकालेश्वर मंदिर में 11 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘महाकाल लोक’ का लोकार्पण किया था। इसके बाद यहां देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या एकाएक बढ़ गई है। पहले शनिवार, रविवार, सोमवार और पर्व के दिन छोड़कर रोजाना करीब 15 से 20 हजार श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते थे। वर्तमान में करीब 60 हजार श्रद्धालु रोजाना दर्शन करने पहुंच रहे हैं। यानी करीब मंदिर पहुंचने वालों की संख्या में तीन गुना की वृद्धि हुई है।

महाकाल मंदिर में दान शीघ्र दर्शन, दान पेटी और जल अर्पण काउंटर से बढ़ा है। यहां प्रति सप्ताह करीब डेढ़ लाख श्रद्धालु महाकाल के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।
इधर, वीकेंड में शनिवार, रविवार, सोमवार को आने वाले भक्तों की संख्या में भी तीन गुना तक इजाफा हुआ है। ये संख्या बढ़कर करीब डेढ़ लाख से लेकर ढाई लाख तक पहुंच गई है। यही कारण है कि भक्त किसी न किसी रूप में मंदिर में दान करके जाते हैं। वहीं, साल के दिसंबर महीने के अंतिम दिनों में शनिवार से सोमवार को दो से ढाई लाख श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे हैं। प्रति सप्ताह औसत देखें, तो करीब डेढ़ लाख श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। महाकाल मंदिर में यह दान शीघ्र दर्शन, दान पेटी, जल अर्पण काउंटर से बढ़ा है।

महाकाल लोक का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2022 को किया था। इसके बाद यहां श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई।
दान में 60 से 70 % का इजाफा

महाकाल मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि 11 अक्टूबर के बाद से दान में 60 से 70 % का इजाफा हुआ है। लगातार भक्तों की संख्या बढ़ रही है। दो साल के अंतिम तीन महीनों का ट्रेंड देखें, तो जहां सन् 2021 के अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर के दौरान 14 करोड़ रुपए का दान मिला था। इसमें लड्डू प्रसादी शामिल नहीं है। वहीं, 2022 में इन्हीं तीन महीनों में 22.50 करोड़ रुपए मंदिर को मिले हैं। इसमें शीघ्र दर्शन, नंदी हाॅल, पूजन, विभिन्न भेंट पेटी से आया दान शामिल है। इसमें भी लड्डू प्रसादी शामिल नहीं है।

से समझिए मंदिर को मिला दान

महाकाल मंदिर में वैसे तो रोजाना भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन शनिवार से सोमवार तक भीड़ ज्यादा रहती है। खासकर त्योहारों के दिनों में सबसे ज्यादा दान मिला है। दिसंबर 2022 में शनिवार-रविवार को सबसे ज्यादा दान मिला। वहीं, क्रिसमस, नववर्ष सबसे ज्यादा भक्तों ने दर्शन किए। सबसे ज्यादा दान 7, 8 और 9 जनवरी को 78 लाख और लड्डू प्रसादी से 49 लाख 98 हजार रुपए मिले हैं।

ऐसे मिलता है मंदिर को दान

मंदिर को दान, लड्डू प्रसादी समेत शीघ्र दर्शन से प्रति व्यक्ति 250 रुपए, भस्म आरती दर्शन में 200 रुपए प्रति व्यक्ति, गर्भगृह दर्शन में 1500 रुपए दो श्रद्धालुओं के माध्यम से दान मिलता है।

एक हफ्ते में ही रिकॉर्ड दान आया

मंदिर में महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद साल के अंतिम महीने 10 दिसंबर से नए वर्ष 16 जनवरी तक वीकेंड यानी शनिवार, रविवार और सोमवार तीन दिनों के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के दर्शन करने पहुंचे। इन 6 दिनों में ही रिकाॅर्ड दान मंदिर समिति को मिला है। सबसे ज्यादा दान 7, 8, 9 जनवरी को 78 लाख 66 हजार रुपए मिला। इसी तरह, प्रसाद से सबसे ज्यादा 31 दिसंबर से 2 जनवरी तक 2 करोड़ 58 लाख रुपए मिले। दिसंबर और जनवरी के महीने में कुल दान दो करोड़ 73 लाख से अधिक और प्रसाद से 4 करोड़ 60 लाख से अधिक मिले हैं।

मंदिर के लड्डू प्रसादी की बिक्री भी डेढ़ गुना बढ़ी

महाकाल मंदिर के प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि दुनिया भर में महाकाल का लड्डू प्रसादी प्रसिद्ध है। महाकाल मंदिर के दर्शन के बाद भक्त विभिन्न काउंटरों से महाकाल का प्रसाद जरूर ले जाते हैं। 11 अक्टूबर से पहले रोजाना मंदिर से लड्डू प्रसादी की बिक्री करीब 25 से 30 क्विंटल रोजाना होती थी, ये अब बढ़कर प्रतिदिन 70 क्विंटल तक पहुंच गई है। हालांकि मंदिर समिति लड्डू प्रसादी नो प्रॉफिट में भक्तों को दे रही है।
कोरोना काल में सबसे कम आया था दान

भगवान महाकाल के मंदिर में कोरोना काल में सोना तीन गुना, तो चांदी दोगुना कम मिली थी। मंदिर में पिछले एक दशक से श्रद्धालुओं ने करोड़ों रुपए दान किए, तो वहीं कई ने सोना-चांदी भी अर्पित किया था। कोरोना काल का असर महाकाल में आने वाले सोने और चांदी के दान में भी देखने को मिला था। वर्ष 2019 में महाकाल मंदिर को दिल खोलकर सोना चांदी दान किया। इसमें 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020- सोना कुल 848 .61 ग्राम दान में मिला। वहीं, चांदी 97,607 ग्राम मिली, लेकिन वर्ष 2020-21 में 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक सोना कुल 235.55 ग्राम और चांदी 47,943 ग्राम मिली है।

नकदी के साथ सोना-चांदी के दान में भी कमी

महाकाल मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया कि 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर को कोरोना में पहली बार श्रद्धालुओं के लिए 22 मार्च 2020 को बंद किया गया। चूंकि वित्तीय वर्ष खत्म होने को ही था, इसलिए 2019-20 वित्तीय वर्ष में आने वाले दान में ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, लेकिन 22 मार्च 2020 से बंद होने के करीब 93 दिन बाद 25 जून को मंदिर को खोला गया। इसके बाद 9 महीनों में दान में गिरावट देखने को मिली। सोने का दान तीन गुना कम और चांदी का दान दोगुना कम मिला।

महाकाल लोक भगवान की अद्भुत छटा देखने को मिलती है। यहां सुंदर गार्डन बनाया गया है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी तीन गुना इजाफ हुआ है।
महाकाल लोक भगवान की अद्भुत छटा देखने को मिलती है। यहां सुंदर गार्डन बनाया गया है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी तीन गुना इजाफ हुआ है।
मंदिर को मिलने वाले दान से चलते हैं कई प्रकल्प

मंदिर में आए करोड़ों के दान से मंदिर के कई प्रकल्प चलते हैं। मंदिर की व्यवस्था, धर्मशाला, अन्न क्षेत्र, महाकालेश्वर वैदिक शोध संस्था, गोशाला, पर्व पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम, महाकाल मंदिर विस्तारीकरण समेत मंदिर की सुरक्षा पर सबसे ज्यादा पैसा खर्च होता है।

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