बिना अनुमति बोरिंग से पर्यावरण असुरक्षित, कलेक्टर ध्यान देवें
उज्जैन हमारे नगर में कानून का पालन किस तरह होता है इसका बेहत उदाहरण हमारे अधिकारी ही है। चायना डोर प्रतिबंधित होने के बावजूद शहर में इसका उपयोग हो रहा है और लोग घायल हो रहे है लेकिन कथित ड्रोन निगरानी एवं छापों के बावजूद प्रशासन को ये डोर उपयोग करने वाले और बेचने वाले नहीं दिख रहे। ऐसा ही दुर्भाग्य हमारे नगर का एक और गंभीर विषय को लेकर बना हुआ है जहां धरती माता का सीना छलनी खुलेआम करने वाले बोरिंग खनन माफियाओं पर पूरा प्रशासन मेहरबान है। लगता ही पूरे ही कुएं में भांग घुली हुई है।
हमारा आशय नगर में अवैध रूप से होने वाले बोरिंग खनन से है।
वैसे तो विधिवेत्ताओं की माने तो इस हेतु अनुविभागीय अधिकारी को आवेदन प्रस्तुत कर विधिवत राजस्व अधिकारियों, कर्मचारियों आदि के माध्यम से अभिमत उपरांत ही बोरिंग खनन अनुमति प्राप्त कर संबंधित थाने को इसकी सूचना देकर किया जाना चाहिए परंतु नगर में सैकड़ों कालोनियों नई वैध अवैध विकसित हो गई और इनके भूखंडों मकानों पर हजारों-हजार अवैध बोरिंग खनन भी हो गये। इनमें अंगुली पर गिनने लायक ही कुछ बोरिंग खनन ऐसे होंगे, जो अनुमति प्राप्त होंगे। इस समूचे खेल में राजस्व टीम के साथ ही संबंधित थाने की पुलिस भी बराबर की भागीदार रहती है। जो कि सूचना होने के बावजूद अपने हितों की प्रतिपूर्ति होने से मौन रहकर इस अवैध कृत्य को संरक्षण प्रदान करती है और खुलेआम बड़ी बड़ी मशीनों से माफिया धरती का सीना चीर देते है।
इस अवैध खनन से सिर्फ प्रशासन को राजस्व का नुकसान नहीं होता जबकि इससे आसपास के भवन भी कंपायमान होते है।
उनकी मजबूती प्रभावित होती है।
बिना भू गर्भ वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों के अभिमत के होने वाले इस खनन से पर्यावरण भी प्रभावित हो रहा है प्रदूषित हो रहा है तथा जलस्तर तेजी से गिर रहा है। शहर कई बार जलसंकट का सामना कर चुका है फिर भी शहर के जलस्तर को और नीचे गर्त में पहुंचाने के लिये पुलिस, राजस्व के अधिकारी, कर्मचारी, अवैध बोरिंग खनन माफियाओं के साथ मिलकर कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
इस मामले में सिर्फ भूखंड स्वामी, अधिकारी, कर्मचारी नहीं, अपितु कालोनी विकसित करने कालोनाईजर तथा भवन बनाने वाले ठेकेदार, बिल्डर भी इस अवैध कार्य को अंजाम देने में भागीदार बनते है।
एक बार प्रशासन गोपनीय सर्वे करवाकर शहर के बोरिंग की संख्या की गिनती करें और कितनी अनुमति कार्यालय से जारी की गई इसका मिलान करेगा तो प्रशासन के कान खड़े हो जाएंगे। हजारों बोरिंग के बीच चंद सैकड़ा अनुमतियां भी बमुश्किल की होंगी याने कानून का पालन कराने वाले अधिकारी, कर्मचारी ही जनता को कानून तोड़ने के लिये संरक्षण दे रहे है। वरना बोरिंग खनन करने वाली बड़ी मशीने की आहट कई किलोमीटर तक सुनी जा सकती है फिर प्रशासन क्यों मौन रहता है क्यों बहरा बना रहता है क्यों अकर्मण्य बना रहता है यह जांच का विषय है।
विषय की गंभीरता यहीं समाप्त नहीं होती अपितु जिला कलेक्टर को शक्ति प्राप्त होती है इसके अंतर्गत वे म.प्र. पेयजल परिरक्षण अधिनियम का पालन करवाते है और नये बोरिंग तक पर रोक लग जाती है फिर भी बेखौफ धडल्ले से बोरिंग होते आ रहे हैं।
हमारा समाचार पत्र कलेक्टर उज्जैन से आग्रह करता है कि इस विषय पर संज्ञान लेकर तत्काल ही अवैध बोरिंग की इस समस्या का निराकरण करावें व अवैध बोरिंग के लिये जिम्मेदार बिल्डर, कालोनाईजर भूखंड स्वामी. राजस्व व पुलिस विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही करें तथा आगे से अवैध बोरिंग खनन न होवें, इस हेतु सख्त निर्देश जारी कर उसका पालन करावें ।