महाकाल मंदिर में ऐतिहासिक सुधार,’दलाली’ पर पूर्ण विराम

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नवनियुक्त प्रशासक की सख्ती से दर्शन हुए सुगम; व्यवस्था बिगाड़ने वाले तत्वों पर नकेल

उज्जैन: विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में नवनियुक्त प्रशासक द्वारा लागू किए गए पारदर्शी और श्रद्धालु-केंद्रित व्यवस्था परिवर्तन की पहल को व्यापक सराहना मिल रही है। मंदिर परिसर में वर्षों से गहरी जड़ें जमा चुकी भस्म आरती व वीआईपी दर्शन के नाम पर होने वाली कथित ‘दलाली’ और अवैध प्रवेश को रोकने के लिए लागू किए गए सख्त नियम अब सकारात्मक परिणाम दे रहे हैं। हालांकि, इन आवश्यक बदलावों के कारण कुछ निहित स्वार्थी तत्व, जिनके निजी लाभ पर रोक लगी है, वे बौखलाहट में हैं। ये तत्व प्रशासक पर दबाव बनाने और नई व्यवस्थाओं को लेकर सुनियोजित तरीके से निराधार अफवाहें और भ्रामकता फैला रहे हैं।
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, मंदिर प्रशासक ने स्वयं सामने आकर स्थिति स्पष्ट की और अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया। प्रशासक का कहना है कि उनकी नई व्यवस्थाओं का एकमात्र और सर्वोपरि उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि महाकाल के दरबार में आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को समान, सुगम और बिना किसी बाधा के दर्शन उपलब्ध हों। उन्होंने स्पष्ट किया कि नियमों को केवल पारदर्शिता बनाए रखने और अपात्रों का प्रवेश बंद करने के लिए सख्त किया गया है। मंदिर की गरिमा और बाबा महाकाल द्वारा स्थापित नियम सर्वोपरि हैं, और यह सुनिश्चित किया गया है कि कार्य केवल स्थापित नियमों के दायरे में ही होगा।
प्रशासक ने दृढ़ता से कहा कि दर्शन व्यवस्था में पारदर्शिता स्थापित करने के लिए ही नियम बनाए गए हैं। उन्होंने अफवाहें फैलाने वाले तत्वों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि एक अच्छे और सुधारवादी अधिकारी पर इस प्रकार के निराधार आरोप लगाना केवल व्यक्तिगत द्वेष का मामला नहीं है, बल्कि यह सीधे तौर पर उज्जैन शहर की प्रतिष्ठा और धर्मनगरी की छवि को नुकसान पहुँचाता है। मंदिर प्रशासन ने चिंता व्यक्त की है कि देश-विदेश से आ रहे श्रद्धालुओं तक गलत और भ्रामक जानकारी पहुँचने से मंदिर की छवि धूमिल हो रही है। मंदिर प्रशासन ने उज्जैन के सभी नागरिकों और मीडिया से अपील की है कि वे व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाने के लिए किए जा रहे सकारात्मक प्रयासों का समर्थन करें, यह सुनिश्चित करते हुए कि मंदिर व्यवस्थाओं में सुधार जारी रहेगा और नियमों को और अधिक मजबूती से स्थापित किया जाएगा ताकि सभी श्रद्धालुओं को बिना किसी भेदभाव के सुगम और न्यायपूर्ण दर्शन प्राप्त हो सकें।