प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों की सैलरी का सच एक बड़ा घोटाला

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मध्य प्रदेश प्राइवेट स्कूलों में कार्य कर रहे शिक्षकों की सैलरी एक बड़ा मुद्दा है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अधिकतर प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों को बहुत कम सैलरी दी जाती है, जो उनके योग्यता और अनुभव के अनुसार नहीं होती है। हमारे सामने कई शिक्षक आए हैं, जिन्होंने अपनी आपबीती सुनाई है और बताया है कि उन्हें कितनी कम सैलरी दी जा रही है।

कागजों में कुछ और, हकीकत में कुछ और

सरकार के मानक अनुसार, प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों की सैलरी 15000 से कम नहीं होनी चाहिए। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। अधिकतर स्कूलों में शिक्षकों को 5-6 हजार मासिक वेतन दी जा रही है। कागजों में सैलरी अधिक दर्शाई जाती है, लेकिन वास्तव में शिक्षकों को बहुत कम सैलरी दी जाती है। ऑडिट के दौरान संचालक 15000 से कम किसी की भी सैलरी नहीं दर्शाते, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है।

स्कूलों में शिक्षक पीएफ से भी वंचित

कई स्कूलों में तो शिक्षकों को पीएफ से भी वंचित किया जा रहा है। एजुकेटेड शिक्षकों को 5-6 हजार में काम करवाया जा रहा है, जो बहुत ही कम है। एक मजदूर की भी मजदूरी इन पढ़े लिखे शिक्षकों से अधिक है।

सरकारी स्कूलों की स्थिति भी खराब

सरकारी स्कूलों की स्थिति भी खराब है। बड़े-बड़े सरकारी स्कूलों में और ग्रामीणों के स्कूलों की स्थिति तो यह है कि ग्रामीणों में पोस्टिंग कराकर अपने स्थान पर अतिथि शिक्षकों को बिठाकर उन्हें 5000 सैलरी देकर स्वयं अंगूठा लगाकर घर बैठे हैं। पदस्थ शिक्षकों की तनख्वा तो 70 हजार के लगभग होती है, लेकिन वे घर बैठकर 65000 खा रहे हैं और उनकी जगह अतिथि शिक्षक शिक्षा देने जा रहे हैं।

अब अवंतिका के युवराज न्यूजपेपर इस मुद्दे पर पूरी तहकीकात कर इसका पर्दाफाश करेगा।