शासकीय भूमि पर कालोनी स्थापित करने वाले रिकार्डेड कासलीवाल की

करतुतों से शहर के गरीब हलाकान क्या मुख्यमंत्री मिटा सकेंगे भू माफिया का नाम-ओ-निशान

उज्जैन अवंतिका के युवराज। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बाबा बुलडोजर ने माफियाओं की जड़े हिला दी है। ऐसा ही एक प्रयास तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में मध्यप्रदेश में किया था जिसकी नकल करते हुए कोरोनाकाल में तख्तापलट करने वाले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी बीते एक साल से एक्शन मोड में दिखाई दे रहे है लेकिन क्या ये एक्शन मोड वाकई में असर कर रहा है या फिर सिर्फ दिखावटी है इसे लेकर कई कयास लगाये जा रहे है क्योंकि उज्जैन शहर में भू माफियाओं पर प्रशासन तक अंकुश नहीं लगा सका है और वे बेलगाम होकर आम जनता का खून चूस रहे है।

कई प्रकरण, एक सवाल, किसके संरक्षण से बचा है अश्विन

अश्विन शहर के विक्रमादित्य क्लाथ मार्केट क्षेत्र में निवास करता है। इसके खिलाफ कई आपराधिक प्रकरण सरकारी जमीन पर अवैध कालोनी स्थापित करने आदि के दर्ज है। वर्ष 2015/16 के आसपास तत्कालीन जिला दंडाधिकारी द्वारा अश्विन के खिलाफ जिलाबदर की कार्यवाही भी लगभग कर ही दी गई थी परंतु तत्कालीन कलेक्टर से सामाजिक समीकरण बैठाकर उन्हें भ्रमित करते हुए अश्विन ने जिलाबदर की कार्यवाही रूकवा ली। इसके बाद शुरू हुआ अश्विन का अवैध कालोनी और तेजी से स्थापित करने का सफर, जिसमें कई सफेदपोश लोग और देश के चतुर्थ स्तंभ लोकतंत्र अर्थात पत्रकार बनकर अधिकारियों को दबाव बनाने वाला एक बिना किसी अधिकृति का कथित पत्रकार भी शरीक है लेकिन शरीफ नहीं। अश्विन के खिलाफ कई शिकायतों के बावजूद कई प्रकरण तो दर्ज तक नहीं हो पा रहे है और यह शिकायतकर्ताओं को ही डरा धमकाकर झूठा फंसवाने व मरवाने की धमकी देकर आतंक उत्पन्न कर रहा है। पुलिस को भी ये अपनी आगे नगर निगम की तरह बौना समझता है लेकिन जिस दिन पुलिस का जमीर जाग गया और पुलिस ने दृढ़ निश्चय कर लिया उस दिन ये अश्विन जेल की सलाखों के पीछे होगा और इसका मकान जेसीबी के पंजे के दर्शन कर कृतार्थ हो जायेगा।

सरकारी जमीनों पर कालोनी स्थापित करने का शौकिन है अश्विन

भूमि सर्वे क्रमांक 189/4/4/2 का भू भाग बताकर मयंक परिसर कालोनी,ग्राम पंवासा, उज्जैन के नाम से कालोनी अश्विन ने स्थापित की है और कई गरीबों और निर्दोष जनता को इसे निजी जमीन बताकर ठगा है परंतु वास्तविकता में यह भूमि सरकारी है। ऐसा लगता है कि अश्विन के साथ पंजीयन करने वाले अधिकारी सहित नगर निगम के अधिकारी भी शामिल है तभी वह बिना किसी सक्षम अनुमति के निजी जमीन से बाहर जाकर तथा सरकारी जमीन को निजी जमीन बताकर टीएंडसीपी, नगर निगम की अनुमति, अनुमोदन के बिना तथा कृषि भूमियों का व्यपवर्तन कराये बिना ही कालोनी स्थापित कर देता है और पाकेटमनी मिलने से इन विभागों के अधिकारी, कर्मचारी भी मौन रहकर अवैध कालोनी को खुशी-खुशी स्थापित कराने में सहयोग व संरक्षण देते है। जैसा कि अश्विन व इन अधिकारियों ने रेल्वे क्रासिंग के पास सरकारी जमीन पर अवैध कालोनी काटने में किया है और खुशी-खुशी में ही खुशीनगर अवैध कालोनी सरकारी जमीन पर काटकर लोगों को ठगा है जिसका आगे का खुलासा हमारा समाचार पत्र आगामी सप्ताह के अंक में करेगा।

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