पंचभूतों की प्रबलता से होने वाले रोगों का विचार करना आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है।

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ज्योतिषाचार्या एवं वास्तु विशेषज्ञ विवेका शर्मा

पंचभूतों की प्रबलता से होने वाले रोगों का विचार करना आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यहाँ प्रत्येक भूत की प्रबलता से होने वाले रोगों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

पृथ्वी तत्त्व: मांस, अस्थि, त्वचा, सिरा, रोम आदि के रोग जैसे कि मोटापा, मधुमेह, पाचन संबंधी समस्याएं आदि।

जल तत्त्व: स्वेद, असृङ्, मूत्र, शुक्र, आस्यतोय आदि के रोग जैसे कि सर्दी, खाँसी, जुकाम, जलोदर आदि।

अग्नि तत्त्व: क्षुधा, तृवा, आलस्य, निद्रा, आभा आदि के रोग जैसे कि पाचन संबंधी समस्याएं, त्वचा संबंधी समस्याएं आदि।

वायु तत्त्व: द्वेष, राग, मोह, भय, जरा आदि के रोग जैसे कि श्वसन संबंधी समस्याएं, हृदय संबंधी समस्याएं आदि।

आकाश तत्त्व: मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आदि के रोग जैसे कि अवसाद, नींद संबंधी समस्याएं आदि।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आयुर्वेद में रोगों का निदान और उपचार व्यक्ति के विशिष्ट संविधान और रोग की विशिष्टता के आधार पर किया जाता है। इसलिए, किसी भी रोग के उपचार के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है।