श्री महाकाल जी: सावन-भादौ के महीने में उज्जैन में बाबा श्री महाकाल जी की शाही सवारी निकाली जाती है। इस शाही सवारी में सिंधिया परिवार के सदस्य भी शामिल होते हैं। यह परंपरा 250 सालों से चली आ रही है। सोमवार को सिंधिया अपने महाआर्यमन के साथ शाही सवारी की पूजा करने के लिए उज्जैन पहुंचे थे।
शाही सवारी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया, बेटे के साथ की महाकाल की पूजा
उज्जैन: केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सोमवार को बाबा श्री महाकाल जी की नगरी में पहुंचे। यहां उन्होंने शाही सवारी की आरती उतारी और पूजा की। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उनके बेटे महाआर्यमन सिंधिया भी मौजूद थी। महाकाल की पूजा के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया का एक अलग ही अंदाज दिखाई दिया। पहली बार बेटे के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया भक्ति के रंग में झूमते हुए दिखाई दिए। इस दौरान मध्य प्रदेश सरकार के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट भी मौजूद थे। महाआर्यमन सिंधिया ने भी पिता के साथ बाबा महाकाल के शाही सवारी की पूजा की और आशीर्वाद मांगा।
भक्ति के रंग में रंगे सिंधिया
बेटे महाआर्यमन सिंधिया के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया श्री महाकाल जी की भक्ति में झूमते दिखाए। उन्होंने भोले बाबा की जयकार के नारे भी लगाए। इस दौरान महाआर्यमन सिंधिया ने डमरू बजाया तो ज्योतिरादित्य सिंधिया झांझ बजाते हुए दिखाई दिए। पिता और पुत्र ने सिंधिया राजवंश की 250 साल से चली आ रही परम्परा का निभाया। बता दें कि ऐसी परंपरा है कि सिंधिया परिवार का मुखिया श्री महाकाल जी की शाही सवारी में शामिल होता है।
चंद्रमौलेश्वर का किया पूजन
सिंधिया अपने बेटे के साथ राजसी सवारी की पूजा करने के लिए पहुंचे थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सत्यनारायण मंदिर के पास पालकी में सवार भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन किया। भगवान श्री महाकाल जी चंद्रमौलेश्वर, शिवतांडव, उमा-महेश, होलकर स्टेट का मुखारबिंद, घटाटोप मुखौटा, सप्तधान मुखारबिंद और मनमहेश स्वरूप में पालकी में सवार होकर निकले। बता दें कि इस बार शाही सवारी का रूट 7 किलोमीटर रहा।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
उज्जैन में सावन और भादौ महीने में महाकाल की सात शाही सवारियां निकाली जाती हैं। बाबा श्री महाकाल जी अलग-अलग रुपों में अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए मंदिर से बाहर आते हैं। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग इस शाही सवारी में शामिल होते हैं। शाही सवारी के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं। शाही सवारी में शामिल होने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं।