संस्कार {CEREMONY}
निषेकादि श्मशानान्तो मन्त्रैर्यस्योदिति विधिः ।
ज्योतिषाचार्या एवं वास्तु विशेषज्ञ
विवेका शर्मा
तस्य शास्त्रेऽधिकारोऽस्मिन् ज्ञेयो नान्यस्य कस्यचित् ।।
अर्थात –
{मनुष्य शरीर को स्वस्थ तथा दीर्घायु और मन को शुद्ध तथा संस्कारवान बनाने के लिए गर्भाधान से लेकर अन्त्येष्टि तक सोलह संस्कारों की व्यवस्था है। ये संस्कार स्त्री और पुरुष दोनों के लिए हैं।}
क्या होते है संस्कार ?
उत्तर –
जिस कर्मों के द्वारा मनुष्य विशुद्ध होकर मोक्ष का अधिकारी होता है उसे संस्कार कहते हैं । हमारे धर्मशास्त्रों में ४८ प्रकार के संस्कारों का वर्णन किया गया है ।
परन्तु सामान्यतया १६ संस्कारों का वर्णन विशेष देखा जाता है, जो इस प्रकार है –
1. गर्भाधान,
2. पुंसवन,
3. सीमन्तोननयन,
4. जातकर्म,
5. नामकरण,
6. अन्नप्राशन,
7. चूड़ाकरण,
8. उपनयन,
9. कर्णवेध
10. विद्यारम्भ
11. उपनयन
12. वेदारम्भ
13. केशान्त
14. समावर्तन
15. विवाह
16. अंत्येष्टि
इनके अतिरिक्त 48 संस्कारो में आने वाले अन्य 32 संस्कार है –
17. चार वेदव्रत,
18. स्नान
19 नित्य पञ्च महायज्ञ,
२६ सप्त पाकसंस्था,
३३ सप्त हविर्यज्ञसंस्था,
४० सप्त सोम यज्ञ संस्था और
४८ आठ आत्म गुण – ये संस्कार हैं।