उजजैन शासन द्वारा अतिक्रमण से मुक्त कराई बिनोद मिल की जमीन पर निगम के अफसर ही खड़े रहकर हरे-भरे पेड़ों को कटवा रहे हैं।
उजजैन इस जमीन के दो हिस्सों (पार्सल एक व दो) की जमीन को बेच दिया और अब उसे खाली करवाकर देना है लेकिन यहां कई पेड़ आ रहे हैं, जिसे काटने के लिए विधिवत प्रक्रिया पालन नहीं की और तहसीलदार एक पत्र के आधार पर वृक्ष अधिकारी व कार्यपालन यंत्री अनिल जैन ने 255 पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी। विधिवत रूप से इन पेड़ों को काटने के लिए भी 11 लाख रुपए की पेनल्टी लगती लेकिन निगम के वृक्ष अधिकारी ने बिल्डर को लाभ पहुंचाने के लिए मुफ्त में इन पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी।
बिनोद मिल की 90 बीघा जमीन के दो हिस्सों को ही अभी बेचा गया है। अब तक 20 से अधिक पेड़ काट दिए गए हैं। अनुमति में 20 पेड़ों को रि-प्लांट करने के लिए भी कहा गया लेकिन इसका आधार भी नहीं स्पष्ट नहीं की। जब 20 पेड़ रि-प्लांट हो सकते हैं तो बाकी को भी रि-प्लांट किया जा ही सकता है लेकिन रि-प्लांट में लाखों रुपए का खर्च आता है, जिससे बिल्डर को बचाने के लिए सिर्फ 20 पेड़ों को ही रि-प्लांट करने की स्वीकृति दी जबकि 100 से अधिक पेड़ रि-प्लांट होने की स्थिति में है।
महापौर ने लगाई जैन को फटकार
पेड़ों को काटे जाने की सूचना पर महापौर मुकेश टटवाल, एमआईसी सदस्य शिवेंद्र तिवारी, रजत मेहता, योगेश्वरी राठौर बिनोद मिल की जमीन पर पहुंचे और वृक्ष अधिकारी जैन को भी बुलाया। महापौर ने जैन को फटकारा कि लोग पेड़ों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन तक कर देते हैं, आप यहां पेड़ों को कटवा रहे हो। महापौर ने तत्काल पेड़ों की कटाई रोकने के निर्देश दिए।
दो उदाहरण… सरकारी विभागों ने भी जमा कराए रुपए
1- राजस्व कॉलोनी में हाउसिंग बोर्ड को 17 से अधिक पेड़ कटवाने थे। जून 2022 में बोर्ड ने पेड़ों को काटने के एवज में 2.55 लाख की पेनल्टी जमा कराई और फिर अनुमति मिली। 2- कोठी स्थित तहसील कार्यालय के निर्माण में भी कुछ पेड़ बाधा बन रहे थे। तहसील कार्यालय ने लगभग 60 हजार रुपए जमा किए।
इनसे राशि क्यों नहीं जमा कराई
शहरी क्षेत्र में किसी को भी पेड़ काे काटना हो तो उसकी प्रक्रिया है। सभी के लिए प्रक्रिया समान है। कारण, जो राशि वसूल की जाती है, उससे अन्य जगह पौधारोपण किया जाता है। लेकिन बिनोद मिल जमीन पर कट रहे पेड़ों के एवज में राशि जमा नहीं कराई। जबकि यह 11 लाख रुपए से ज्यादा होती है।
ऊपर से आदेश, पेड़ काटने की कोई पेनल्टी नहीं ली
“पेड़ों को काटने के लिए तहसीलदार का पत्र आया था। इसके बाद अनुमति दी गई। रुपए क्यों नहीं लिए गए, इस बारे में इतना ही कहूंगा ऊपर से आदेश हैं। ऊपर किसका आदेश है.. के सवाल का जवाब नहीं दिया।”
-अनिल जैन, वृक्ष अधिकारी