विवश दिख रहे हैं,निगम के आला अधिकारी
अवंतिका के युवराज के लिए पत्रकार मनोज उपाध्याय की खबर उज्जैन, एक तरफ जहां प्रदेश में लिंपी वायरस ने अपने पांव पसार रखे हैं और उज्जैन शहर भी इससे अछूता नहीं रहा है जिसके चलते उज्जैन शहर में भी मवेशियों को लिंपी वायरस ने अपनी चपेट में ले रखा है, बावजूद इसके निगम कर्मचारियों और पशुपालकों की मिलीभगत के चलते उज्जैन शहर के गलियों और चौराहों पर आवारा मवेशी खुलेआम चहल कदमी करते हुए दिखाई दे रहे हैं, वहीं सब कुछ देखते हुए भी निगम के आला अधिकारी विवश होकर अपनी आंखें मूंद कर बैठे हैं।
कहने को तो उज्जैन शहर को स्मार्ट सिटी का तमगा मिल चुका है लेकिन
उज्जैन शहर के चौराहे एवं गलियां आवारा मवेशियों से भरे पड़े हैं जहां आवारा मवेशियों द्वारा न सिर्फ गंदगी फैलाई जा रही है बल्कि इन आवारा मवेशियों के द्वारा लिंपि की वायरस फैलने की संभावना भी बढ़ रही है, लेकिन इन सबके बीच निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है, लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना कार्य शैली का आलम यह है कि निगम के कर्मचारी लोक दिखाई के चलते आवारा मवेशियों को पकड़ने के लिए जोर शोर से निकलते हैं, और निगम के विभीषणों द्वारा इसकी खबर पशुपालकों तक पहले से पहुंच जाती है जिसके चलते जिस क्षेत्र में निगम की गैंग पहुंचती है उससे पहले ही पशुपालक अपने पशुओं को अपने अवैध बाड़ों में पहुंचा चुकी होती है और कहीं इक्का-दुक्का आवारा मवेशी निगम की गैंग द्वारा पकड़े भी जाते हैं तब ऐसे में पशुपालक अपने राजनीतिक प्रभाव के चलते अपने मवेशियों को पुनः छुड़वा लेते हैं और उज्जैन शहर की गलियों में चौराहों पर फिर वही ढाक के तीन पात नजर आते हैं और यह सब देखने और समझने के बाद भी निगम के आला अधिकारी विवश होकर अपनी आंखें मूंद कर बैठे दिखाई दे रहे हैं।
शहर में निगम कर्मियों और पशुपालकों की मिलीभगत
कई वर्षों से चल रही है और इसमें नगर निगम को लाखों रुपए की चपत भी लग रही हैं ऐसा इसलिए है कि नगर निगम की गैंग आवर में विषयों को पकड़कर नगर निगम की गौशालाओं में भेजती है जहां रोज के सैकड़ों मवेशियों के रखरखाव के लिए लाखों रुपए कागजों में दिखाए जाते हैं और दूसरे दिन उन मवेशियों को पशुपालकों के राजनीतिक प्रभाव के चलते छोड़ दिया जाता है और पशुपालक उन आवारा मवेशियों को पुनः उज्जैन की सड़कों पर छोड़ देते हैं और फिर नगर निगम के गैंग उन आवारा मवेशियों को लोक दिखाई के लिए फिर से पकड़ने के लिए निकलती है और यह क्रम बदस्तूर कई वर्षों से जारी है जिसके चलते आवारा मवेशी उज्जैन की सड़कों पर बदस्तूर बने हुए हैं और नगर निगम को लाखों रुपए प्रतिमाह का चूना लग रहा है और यह सब नगर निगम के विभीषण कर्मचारियों के चलते हो रहा है जिन पर सब कुछ देख कर भी निगम के आला अधिकारी किसी प्रकार की कार्रवाई करने में विवश नजर आ रहे हैं।
बहर हाल जहां कोरोना वायरस की महामारी के चलते
उज्जैन की जनता को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, तो वहीं लिंपी वायरस ने अपने पैर पसारना शुरू कर दिया है जिसमें सैकड़ों मवेशी इसकी चपेट में आ रहे हैं ऐसे में समय रहते आवारा मवेशियों जिसमें (गाय कुत्ते और सूअर) को उज्जैन के सड़कों से सुरक्षित स्थानों पर नहीं पहुंचाया गया तब शहर में लिंपी वायरस फैलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है इसके लिए निगम के आला अधिकारियों को प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है वहीं निगम के विभीषणों पर भी कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि इस समस्या का स्थाई निदान हो सके।