राम अब तो करो कुछ काम
मजाक बना रखा है उज्जैन नगर निगम में आला अधिकारियों के आदेश का,
पूर्व निगम आयुक्त एवं वर्तमान निगमायुक्त के द्वारा दिए गए आदेश को नगर निगम के भ्रष्टाचार युक्त अधिकारी घोलकर पी गए,
सत्ता पक्ष के महापौर और निगम सभापति का नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों के मामले में चुप क्यों हैं ?
आखिर कौन बचा रहा है नगर निगम के इन भ्रष्ट अधिकारियों को?
उज्जैन, निगमायुक्त रोशन कुमार सिंह द्वारा 4 जनवरी 2023 को जांच आदेश दिया, जिसका 7 दिवस के अंदर जांच कमेटी को जांच करके रिपोर्ट सौंपने थी ,उज्जैन नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष रवि राय के द्वारा नगर निगम वर्कशॉप से करोड़ों रुपए का भंगार चंद लाख रुपए में बाले बाले बेचने के घोटाले को उजागर किया, और नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों के कारनामों को उजागर करते हुए यह आपत्ति ली की नगर निगम के वर्कशॉप से करोड़ों का भंगार के टेंडर की स्वीकृति एमआईसी एवं परिषद से नहीं ली गई है, करीब 5 करोड़ का कबाड़ महज 31लाख रुपया में बेची जा रही थी,12 ट्रक लोहा सामग्री टेंडर लेने वाली कंपनी ले जा भी चुकी है ,जो लगभग 40 लाख रुपए कीमत का होता है, अभी भी कई ट्रक माल ले जाना बाकी है ऐसे में नगर निगम को नगर निगम के ही अधिकारियों द्वारा करोड़ों रुपए की राजस्व हानि पहुंचाई जा रही है
निगमायुक्त रोशन कुमार सिंह के जांच आदेश के 1माह के बाद भी मामले की जांच अब तक शुरू नहीं हुई है, इससे स्पष्ट होता है कि नगर निगम के आला अधिकारियों के आदेश की नगर निगम के अधिकारी क्या हश्र करते हैं ,इस मामले में ताज्जुब की बात यह है कि नगर निगम के वर्कशॉप जहां घोटाला हुआ है उसी वर्कशॉप के प्रभारी को ही जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है नतीजा यह है कि मुख्य जांच अधिकारी अनु विभाग अधिकारी तक पूरे मामले के कागजातों की फाइल अब तक नहीं पहुंची है जबकि 4 जनवरी 2023 को निगमायुक्त के द्वारा जांच समिति गठित की गई जिसमें कहा गया कि 7 दिवस के अंदर मामले की जांच की जाए लेकिन 1माह के बाद भी मामले की जांच की शुरुआत तक नहीं हुई है, और इस मामले में नगर निगम के आयुक्त महोदय द्वारा जांच आदेश दिए जाने के बावजूद कार्रवाई नहीं होने पर नगर निगम के महापौर एवं निगम सभापति द्वारा भी कोई संज्ञान नहीं लिया गया है, ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या नगर निगम के इन भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के पीछे नेता नगरी का हाथ तो नहीं है?, अन्यथा उज्जैन नगर निगम में ऐसे भी सभापति हुए हैं जिन्होंने नगर निगम की भरी सभा में नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारी को नाम लेकर बुलाया और सभा से बाहर का रास्ता दिखाया था, लेकिन अभी ऐसा लगता है कि समय में बहुत परिवर्तन हो चुका है।
दरअसल उज्जैन नगर निगम की महिला अधिकारी की देखरेख में उज्जैन नगर निगम के मक्सी रोड स्थित वर्कशॉप से गाजियाबाद कि एमएम एंटरप्राइजेज ने भंगार या कबाड़ उठाने का ठेका लिया था , नगर निगम कि अधिकारी महोदया और वर्कशॉप प्रभारी द्वारा करीब 30 लाख से अधिक का कबाड़ बाले बाले ट्रकों में लोड करवा दिया गया, जिस पर नेता प्रतिपक्ष डॉ रवि राय ने आरोप लगाया कि टेंडर की स्वीकृति एमआईसी एवं परिषद से नहीं ली गई है, करीब 5 करोड़ का कबाड़ महज 31लाख रुपया में बेची जा रही थी,12 ट्रक लोहा सामग्री टेंडर लेने वाली कंपनी ले जा भी चुकी है ,जो लगभग 40 लाख रुपए कीमत का होता है, अभी भी कई ट्रक माल ले जाना बाकी है ऐसे में नगर निगम को नगर निगम के ही अधिकारियों द्वारा करोड़ों रुपए की राजस्व हानि पहुंचाई जा रही है,नेता प्रतिपक्ष रवि राय की शिकायत के बाद उज्जैन नगर निगम आयुक्त ने 4 जनवरी 2023 को मामले की जांच कराने के लिए टीम गठित की और सात दिवस में मामले जांच समिति द्वारा परीक्षण कर तथ्यात्मक प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की बात कहीं गई थी, लेकिन विश्वस्त सूत्रों से जानकारी है कि जांच समिति के पास मामले से जुड़े कागजातों की फाइल अब तक नहीं पहुंची है ऐसे में मामले को नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा दबाने की कोशिश की जा रही है, ऐसा स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
आपको बता दें कि नगर निगम के इस कबाड़ घोटाले की जांच समिति में श्रीमती कल्याणी पांडे अनुविभागीय अधिकारी कोठी महल उज्जैन, कार्यपालन यंत्री पीडब्ल्यूडी उज्जैन एवं नगर निगम के वर्कशॉप प्रभारी सहायक यंत्री विजय गोयल हैं।
इस मामले में जिम्मेदार नगर निगम कि अधिकारी जैन महोदया का कहना है कि समस्त आरोप निराधार हैं मामले में पूरी पारदर्शिता रखी गई है और इसमें कोई घोटाला नहीं हुआ है ।
रवि राय नेता प्रतिपक्ष नगर निगम उज्जैन ने बताया कि नगर निगम के अधिकारियों और टेंडर कंपनी के बीच बड़ी सांठगांठ हुई है जिसके चलते बिना नगर निगम एमआईसी एवं परिषद के संज्ञान में लिए बगैर टेंडर दिया गया है जिसमें करोड़ों रुपए के कबाड़ को महज कुछ लाख रुपए में बाले बाले बेचा जा रहा है जिसके चलते नगर निगम को करोड़ों रुपए के राजस्व हानि हुई है , हमारी मांग है कि टेंडर निरस्त होना चाहिए,नगर निगम कमिश्नर ने जांच के लिए समिति बनाई है ।
बहर हाल हम आपको बता दें कि नगर निगम में भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होने के पीछे एक बड़ा षड्यंत्र चल रहा है जिसको बहुत जल्दी हम उजागर करेंगे , इससे पूर्व में भी पूर्व नगर निगम आयुक्त ने नगर निगम में हुए भ्रष्टाचार के लिए नगर निगम के भ्रष्टाचारी अधिकारियों को नोटिस जारी किया था लेकिन उस नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई बल्कि नोटिस देने वाले अधिकारी को ही यहां से चलता कर दिया गया,नगर निगम में कई ऐसे अधिकारी हैं जिन्होंने करोड़ों रुपए की राजस्व हानि नगर निगम को पहुंचाई है लेकिन वह आज भी नगर निगम में एक नहीं अनेक पदों के पदभार के साथ नगर निगम में आज भी जमे हुए हैं, नगर निगम के यह भ्रष्ट अधिकारी कई वर्षों से उज्जैन में जमे हुए हैं कोई माई का लाल इनका ट्रांसफर नहीं कर पाया है, भ्रष्टाचार का आलम यह है कि सिटी बसों में हुआ भ्रष्टाचार, नगर निगम वर्कशॉप में वाहनों के पार्ट्स में हुआ भ्रष्टाचार, नगर निगम के वाहन के डीजल भराने में हुआ भ्रष्टाचार, नगर निगम के द्वारा दिए गए कचरा संग्रहण में भ्रष्टाचार, नगर निगम में बाहरी वाहनों को अटैच करने में हुआ भ्रष्टाचार, गोंदिया में आग लगने का भ्रष्टाचार, लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि किसी एक भ्रष्टाचारी अधिकारी पर भी नगर निगम के आला अधिकारी सख्त कार्रवाई नहीं कर पाए हैं इससे स्पष्ट होता है कि इन भ्रष्ट अधिकारियों के पीछे बाहुबली नेता नगरी का हाथ है , और इसी के बल पर करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार करने के बाद भी यह नगर निगम के भ्रष्टाचारी अधिकारी अनेक पदों के पदभार के साथ नगर निगम में बने हुए हैं,लेकिन बाहुबली नेता नगरी को भी आने वाले विधानसभा चुनाव में उज्जैन की जनता को जवाब देना होगा, क्योंकि जनता का करोड़ों रुपया भ्रष्टाचारीयों ने डकारा है।