अश्विन के जेल काटने का काला चिट्ठा खुला, अब क्या होगा मानहानि का ?
उज्जैन अवंतिका के युवराज। फर्जी कालोनाईजर, भू माफिया, 420 जैसी अनेकोनक उपाधियों से अलंकृत अश्विन कासलीवाल भारतीय दंड विधान की धारा 420 के तीन प्रकरणों में आरोपी रह चुका है। लेकिन पुलिस थाना चिमनगंज मंडी में मई 2023 में दर्ज हुए तीसरे 420 के प्रकरण के बाद अश्विन की सांसे पुलिस के नाम से फूलने लगी है और काले कारनामे करने वाला अश्विन अब सफेदपोश समाजसेवी बनने की जुगत में लगा है।
लायन्स क्लब या फरारी क्लब
सफेदपोश बनने के चक्कर में अश्विन कासलीवाल ने लायन्स क्लब का दामन थाम लिया है। लेकिन अब सवाल ये है कि अश्विन की आमद से लायन्स क्लब कहीं फरारी क्लब न बन जाये। फरारी की सवार करते करते ये अश्विन कहीं लायन्स क्लब को न डूबो दे।
प्रतिष्ठित या आरोपित ? फैसला करेगी अदालत
अश्विन कासलीवाल ने मा. न्यायालय में मानहानि का वाद प्रस्तुत किया है जिसमें स्वयं को लब्ध प्रतिष्ठित दर्शाते हुए पुलिस अधीक्षक व पुलिस चिमनगंज मंडी पर रूपयों की अवैध मांग करने व डरा धमकाकर कोरे कागज पर दस्तखत कराने के आरोप लगाये है। जबकि इस कथित लब्ध प्रतिष्ठित अश्विन कासलीवाल के खिलाफ 420 के दो प्रकरण वर्तमान में दर्ज है और एक प्रकरण पूर्व में दर्ज रहा है। याने अश्विन की पहचान ही अश्विन 420 के रूप में बन गई है।
शहर को चौंका देगी ये जानकारी
आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी अनुसार अश्विन कासलीवाल माह जुलाई 2017 में केन्द्रीय जेल भैरवगढ़ उज्जैन की बैरक को पुलिस थाना चिमनगंज के अपराध क. 900/16 में भादवि की धारा 420, 201 व 292 (ग) न.पा. अधि. 1956 के तहत सुशोभित कर चुका है। अब सवाल ये है कि जेल में बंद रहने वाला व्यक्ति क्या लब्ध प्रतिष्ठित होता है या कानून तोड़ने वाला आरोपी? ऐसे व्यक्ति को तो आम तौर पर बदमाश ही माना जाता है। लेकिन यह सर्वस्वीकार्य है कि जेल काटने वाला शख्स कदापि मानहानि के योग्य नहीं होता। ऐसे में आखिर किस बुद्धिजीवी की सलाह पर अश्विन ने मानहानि के योग्य मानकर उसकी काली करतुतों को उजागर करने की नींव रखी है यह हास्यापद होकर समझ से परे है।
लेकिन ये जरूर है कि जेल का कच्चा चिट्ठा अश्विन का अब खुल गया है और अगर अश्विन का ज़मीर जिंदा है तो मानहानि के लिये शायद अब अश्विन को भी आत्मग्लानि होगी?
लानत है ऐसी शौहरत पर……..
शौहरत खरीदी नहीं कमाई जाती है जनाब अश्विन……….
5 लाख रूपये देने से जबरन का आतिथ्य तो मिलेगा, लेकिन रहोगे फरार 420 ही
अवंतिका के युवराज की निर्भीक कलम से लगातार कारनामे उजागर होने से विवश होकर शहर के भू माफिया अश्विन कासलीवाल अब रूपयों से शौहरत खरीदने को मजबूर हो गये है। कुछ दिन पहले एक संस्था के कार्यक्रम में रुपयों के बल पर संस्था सदस्यों के भारी मन के बावजूद सम्मानित हुआ अश्विन एक बार फिर रूपयों के बल पर शोहरत बंटोरने में लग गया है। 5 लाख रूपये में फायनल हुई डील के बाद 2 लाख रूपये की पेशगी भी अश्विन कासलीवाल ने एक बड़ी जगह पहुंचा दी है जिसके नाम का ” अक्षर ” हम नहीं बता सकते। बाकी 3 लाख रूपये एक कार्यक्रम आयोजित करवाकर कासलीवाल “विश्व” को यह संदेश देगा कि धनबल के आगे ज़मीर बिकने में देर नहीं लगती। लेकिन
सच के लिये लड़ रही हमारी कलम न झुकी है न झुकेगी।
सुन ले रे…….. रेलवे ब्रिज …… हाथी चले बाजार…….. तो कुत्ते भौंके हजार …….लेकिन जीतेगा हाथी ही, हर बार, बार-बार…….. लगातार…….