संवेदनशील मामले मुख्यमंत्री और धर्मपत्नी क्यों रहे मौन

पहले हम या वीडियो पर नजर डालते हैं।

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को शिकायत की जाएगी

उज्जैन अवंतिका के युवराज महाशिवरात्रि महापर्व 18 फरवरी 2023. शनिवार, वो दिन जिसका उज्जैनवासियों को बेसब्री से इंतजार था कि शिव ज्योति अर्पणम कार्यक्रम के माध्यम से इस महापर्व पर पूरा शहर जगमगायेगा और वर्ल्ड रिकार्ड तैयार होगा। इसके कवरेज के लिये देश भर से मीडिया कर्मी उज्जैन पहुंचे थे। यूं सो बीते महीनों से प्रदेश सरकार के मुखिया द्वारा एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बार-बार बैठकों के दौर में इसकी अपार सफलता हेतु अच्छी तैयारियों के दावे किये जा रहे थे परंतु ये दावे हवा हो गये जब एक राष्ट्रीय समाचार पत्र की राष्ट्रीय पत्रकार नैना यादव पर पवित्र नदी के तट रामघाट पर यौन हमले की घटना हुई। जिसमें भीड़ का अनुचित लाभ उठाकर सभ्य भारतीय वस्त्र साड़ी पहनी महिला पत्रकार के साथ असभ्य, अशालीन, अमर्यादित हरकत की गई। इतना ही नहीं वहां मौजूद मुख्यमंत्री की भावना से जनता को अवगत कराने के लिये मुखातिब हो रही महिला पत्रकार के साथ मुख्यमंत्री के स्टाफकर्मियों और स्थानीय प्रशासनिक जिम्मेदारों ने अभद्रता की महिला द्वारा इस पर आपत्ति लेने पर प्रदेश के कथित मामा मुख्यमंत्री ने इसे नजरअंदाज किया और प्रदेश की कथित मामी ने कहा कि भीड़ में ऐसी घटनाएं हो जाती है कोई बात नहीं आखिर सवाल ये है कि जिसे प्रदेश का राजा जनता ने बनाया है ऐसे राजा की रानी ही महिलाओं की सुरक्षा और विशेषकर महिला पत्रकार की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है तो आखिर प्रदेश में कितना जंगलराज होगा. इसे लेकर कोई शक सुबहा हमारे मन में नहीं होना चाहिये। महिलाओं व बच्चियों के प्रति अपराधों में कथित मामा का प्रदेश टॉप पोजीशन पर बना हुआ है ये मामा व मामी की महिलाओं व बच्चियों के प्रति संवेदनहीनता और इस महापर्व के महाआयोजन में प्रशासनिक व शासन की विफलता, लापरवाही और घोर उपेक्षा का परिचायक है। जब राष्ट्रीय स्तर की महिला पत्रकार की यह दुर्दशा की गई तो स्थानीय पत्रकारों का क्या हाल हुआ होगा यह सोचकर ही रूह कांप जाती है और वह भी तब जबकि नैना यादव शादय एकमात्र ही राष्ट्रीय महिल पत्रकार थी। खैर इस घटना ने यह पुनः सिद्ध कर दिया कि मामा-मामी बनने वाले दम्पत्ति सिर्फ दिखावटी मामा मामी की तरह है जिन्हें अपनी मानजियों से कोई मोह नहीं है। लेकिन इस घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या प्रदेश में अब जनता तो दूर की बात क्या मीडियाकर्मी और महिलाएं भी सुरक्षित रह गये है ? इसने मीडियाकर्मियों और विशेषकर महिलाओं के मन में भय पैदा कर दिया है यह भय मत को मतांतर में बदलकर कहीं सत्ता की चाबी शिवराज से छीनकर कमलनाथ को न दे दे। इसका जवाब शायद बेहतर तरीके से जनता ही दे सकती है।

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