विपक्ष दलों का मौन समर्थन विस चुनाव में बन सकता है घातक
संवाददाता , आजकल चुनावी लोकतंत्र की खासियत ही बन गई है कि इसमें एक बार लोकलुभावन वादे करके जनता को बाद में छला जाए। इसमें कोई भी राजनीतिक दल पीछे नहीं है। केन्द्र के बाद राज्य में डबल इंजिन सरकार बनाने व शहर में तीसरे इंजिन की सरकार बनाकर विकास का दावा और वादा करने वाली भाजपा की तीन इंजिन सरकार होने के बावजूद बीते करीबन 2 वर्षों में भाजपा सरकार के राज में निर्धन नागरिकों के घर और छुटपुट व्यवसाय करने वाले कमजोर आर्थिक तबके के लोगों की दुकाने उजाड़कर भाजपा अपनी पीठ थपथपा रही है और उन्हें बेरोजगार, बेघर करके मानवीय संवेदना को पूरी तरह भूल गई है। देखा जाए तो सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने के आंकड़े दिखावटी तौर पर अच्छे लगते है परंतु इसकी आड में जिन्हें बेघर और बेरोजगार किया गया उनके आंसुओं की ओर जिम्मेदार अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों का बिलकुल ध्यान नहीं है। विनोद मिल की चाल, आगर रोड़ के बाद अब सिर्वी समाज की धर्मशाला के 106 निर्दोष परिवारों पर गहरा वज्रपात किया गया है। उन्हें भरी ठंड में बेघर करके उनके साथ अन्याय किया जा रहा है। चूंकि मामला माननीय न्यायालय से संबंधित है इसलिये ज्यादा नही बोल सकूंगा परंतु इसमें स्थानीय शासन, प्रशासन की मानवीय संवेदना पूरी तरह गायब दिखी और उन्हें वैकल्पिक स्थान तक नहीं दिया गया। दूसरी और सिंहस्थ क्षेत्र में अवैध कालोनी बसते समय जिम्मेदार अधिकारी अपने हित साधकर मौन रहते है और अब हित सबने के पश्चात सिंहस्थ क्षेत्र से मकानों को तोडन के सूचना पत्र जारी कर उन्हें भयभीत कर रहे है। जहां पर अत्यंत गरीब लोग निवासरत है जिन्होंने लोन लेकर या जैसे तैसे पाई पाई जोड़कर अपना आशियाना बनाया है उनकी छत छीनी जा रही है। सिर्फ और सिर्फ आगामी विधानसभा चुनाव 2023 को देखकर भाजपा ने अस्थाई रूप से यह कार्यवाही रुकवाई है। इस मामले में विपक्षी दलों का मौन उनके समर्थन की ओर इशारा कर रहा है। खैर जो भी हो लकिन भाजपा का यह अत्याचार और विपक्षी दला का मान निश्चित इन राजनीतिक संगठनों के लिये विधानसभा चुनाव के परिणाम के मान से घातक हो सकता है।